VPF vs PPF – which is better investment and why? | Public Provident Fund | Voluntary Provident Fund
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नौकरी करने वाले लोगों के लिए VPF और PPF हमेशा से ही निवेश के सबसे बेहतर जरियों में से रहा है। नौकरीपेशा व्यक्ति को इन दोनों तरीकों से निवेश करने पर ज्यादा ब्याज दर के लाभ के साथ बेहतर बचत विकल्प का फायदा भी मिलता है। पिछले कुछ वक्त से देखा जा रहा है कि फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज की दरें काफी कम हो गई हैं, जिस कारण से लोग निवेश के अन्य साधनो में ज्यादा निवेश कर रहे हैं। अगर आप भी निवेश करने के बेहतर विकल्प की तलाश में हैं तो, PPF और VPF आपके लिए सबसे बेहतर माध्यम में से एक हो सकते हैं। दोनों ही जगह निवेश करके इनकम टैक्स बचाया जा सकता है। इसके अलावा दोनों ही स्कीम की अपनी खासियत और कमियां हैं। आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है।
वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) निवेश के काफी लोकप्रिय विकल्प हैं। इनमें से कौन अच्छा है, इस पर बहस होती रही है। ऐसे कई पहलू हैं जो इन्हें एक-दूसरे से अलग करते हैं। इनमें पात्रता, निवेश की अवधि, रिटर्न, लिक्विडिटी, टैक्स बेनिफिट इत्यादि शामिल हैं। आइएआज जानते है की इनमें से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है।
कौन कर सकता है निवेश?
वीपीएफ इम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड यानी ईपीएफ का एक्सटेंशन है। सिर्फ वही नौकरीपेशा लोग इसमें पैसा लगा सकते हैं जिनका सक्रिय ईपीएफ अकाउंट है और ईपीएफ में नियमित कॉन्ट्रिब्यूशन करते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह ईपीएफ के अनिवार्य कॉन्ट्रिब्यूशन के अलावा अपनी मर्जी से किया जाने वाला योगदान होता है। वहीं, पीपीएफ में निवेश का विकल्प सभी के लिए है. यहां तक नाबालिगों का भी अभिभावकों के जरिये खाता खुल सकता है।
निवेश अवधि
आप VPF में अपनी रिटायरमेंट की आयु तक निवेश कर सकते हैं। लेकिन, 5 वर्ष की लॉक-इन अवधि तय की गई है। अनिवार्य रूप से इसका मतलब है कि जब आप अपना VPF खाता खोलते हैं, तो आप इसे 5 वर्ष की आधार अवधि के पूरा होने से पहले न तो टर्मिनेट कर सकते हैं और न ही इसे बंद कर सकते हैं। यदि आपकी नौकरी बदल जाती है, तो आप अपने VPF खाते को एक नियोक्ता से दूसरे नियोक्ता को ट्रांसफर कर सकते हैं।
वही PPF खाते की अवधि 15 वर्ष की होती है। लेकिन आप 5 वर्ष के ब्लॉक के लिए इसको बढ़ा सकते हैं, और ऐसा आपकी इच्छा के अनुसार कितने ही ब्लॉक्स के लिए जारी रखा जा सकता है।
किसमें होती है ज्यादा टैक्स सेविंग्स?
जब निवेश की रकम पर टैक्स डिडक्शन बेनिफिट की बात आती है तो ईपीएफ की तरह वीपीएफ में भी सेक्शन 80सी के तहत छूट मिलती है। किसी वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर यह छूट उपलब्ध है। पीपीएफ में भी यह डिडक्शन मिलता है। हालांकि, इन दोनों प्रोडक्टों से मिले रिटर्न पर टैक्स अलग-अलग तरह से लगता है। पीपीएफ में पूरे रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है। ये ट्रिपल E स्टेटस एन्जॉय करता है। हालांकि, कोई इसमें 1.5 लाख रुपये तक ही निवेश कर सकता है।
पिछले केंद्रीय बजट में वीपीएफ से मिले रिटर्न पर छूट की सीमा तय की गई है। अब अगर वीपीएफ और ईपीएफ में निवेश मिलाकर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो अतिरिक्त रकम पर कमाए गए ब्याज पर टैक्स लगेगा।
न्यूनतम और अधिकतम कितना निवेश कर सकते हैं?
पीपीएफ में आप कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं। किसी साल अगर आप न्यूनतम निवेश नहीं करते हैं तो खाता ‘इनएक्टिव’ हो जाता है। इस तरह के न्यूनतम और अधिकतम कॉन्ट्रिब्यूशन की बंदिशें वीपीएफ में नहीं हैं।
ब्याज दर
VPF खाते पर ब्याज की दर, जिसकी घोषणा सरकार द्वारा वार्षिक रूप से की जाती है, वह EPF पर मिलने वाली ब्याज दर के समान ही है। 2020-21 के लिए ब्याज की दर 8.5% है। वही PPF खाते पर सरकार हर तिमाही में छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को तय करती है। जुलाई-सितम्बर तिमाही के लिए PPF पर ब्याज की दर 7.1% है।
विदड्रावल
VPF: आप रिटायरमेंट के बाद या दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने पर पूरी राशि निकाल सकते हैं। आप खास उद्देश्यों जैसे शादी, चिकित्सा आपातस्थितियों, घर का निर्माण या घर खरीदने के लिए भी लोन के रूप में आंशिक विदड्रावल कर सकते हैं। लेकिन, यहां पर यह नोट करना जरूरी है कि यदि आंशिक विदड्रावल को 5 वर्ष की आधार अवधि के पहले किया जाता है, तो संचित राशि पर टैक्स वसूला जाता है।
PPF: निवेशक 15 वर्ष की अवधि के पूरा होने पर कुल राशि को विदड्रा कर सकता है। आंशिक विदड्रावल की अनुमति केवल 6 वर्ष के पूरा होने के बाद ही दी जाती है। इसका अर्थ है कि आप 7वें वर्ष से आगे आंशिक विदड्रावल कर सकते हैं और आपको वित्तीय वर्ष में केवल एक बार ऐसा करने की अनुमति दी जाती है। तीन वर्ष के पूरा होने के बाद आप PPF निवेश के बदले में लोन ले सकते हैं। खाता धारक को समय से पहले विदड्रावल की अनुमति भी दी जाती है। लेकिन चौथे वर्ष की समाप्ति पर PPF में रखी। कुल राशि के 50% से अधिक राशि को नहीं निकाला जा सकता है। निकाली गई राशि पर कर लगाया जाता है।
आपके लिए कौन सी स्कीम बेहतर है?
PPF और VPF दोनों ही स्कीमें लौ रिस्क इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं और एश्योर्ड रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए बेहतर साबित होती हैं। दोनों में से किसी एक को चुनने का आपका निर्णय आपकी निवेश अवधि तथा रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है। ऐसा कहने के बाद, यहां ये धतयां देना भी महत्वपूर्ण है कि VPF पर ब्याज की दर 8.5% है और PPF पर 7.1% है, लेकिन दोनों स्कीमों पर टैक्स के प्रावधान अलग-अलग हैं।
VPF में उच्च अंशदान और उच्च ब्याज से शीघ्रतापूर्वक काफी अधिक रिटायरमेंट फंड को जोड़ा जा सकता है। PPF पर रिटर्न की दर को हर तिमाही में तय किया जाता है। इसलिए, ब्याज दर में किसी भी बढ़ोतरी से आपके टैक्स फ्री रिटर्न में बढ़ोतरी होगी, और ब्याज में कमी से आपके रिटर्न कम हो जाएंगे। यदि आपके वित्तीय लक्ष्य 15-20 वर्ष की अवधि में आते हैं, जैसे आपके बच्चे की उच्च शिक्षा या शादी, तो निवेश के यह बहुत ही शानदार साधन है।
अगर आप रिटायरमेंट तक इस लिक्विडिटी को छोड़ने के लिए तैयार हैं तो बेशक सैलरीड कर्मचारियों के लिए वीपीएफ सबसे अच्छा विकल्प है। नॉन-सैलरीड लोगों के लिए पीपीएफ आकर्षक बना हुआ है। लेकिन, सिर्फ एक ही कमी है कि इसमें आप साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं।
दोस्तों, दोनों ही जगह निवेश करके इनकम टैक्स बचाया जा सकता है। इसके अलावा दोनों ही स्कीम की अपनी खासियत और कमियां हैं। अगर आप नौकरीपेशा है तो VPF में निवेश करना सही रहेगा क्योंकि यहां से आपको PPF की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलेगा। वहीं अगर आपका खुद का व्यवसाय है या आप अपने बेटे या बेटी के नाम पर निवेश करना चाहते हैं तो आप PPF में निवेश कर सकते हैं। दोस्तों उम्मीद करते है की दोनों ही स्कीम्स के फायदे और लिमिटेशन आपको समज आ गयी होगी।