‘सुपर टॉप-अप’ प्लान से अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को करें अपग्रेड, इससे कम पैसों में मिलेगा ज्यादा फायदा
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दोस्तों, आज के दौर में हेल्थ बीमा की जरूरत काफी ज्यादा बढ़ गई है। कोरोना काल में तो हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व और ज्यादा देखने को मिल रहा है। हालांकि, देखने में आया है कि कई मामलों में हेल्थ पॉलिसी अस्पताल के खर्चों को पूरा करने में नाकाफी साबित होती है। तो ऐसे में आप या तो अपनी एक्सिस्टिंग पालिसी का कवरेज बढ़वा सकते है या फिर एक टॉप अप या सुपर टॉप अप पालिसी के सकते है। अगर आपको लगता है कि आपका हेल्थ कवर काफी नहीं है, और आप एक और नई रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का प्लान बना रहे हैं तो जल्दबाजी न करें।आप अपने इंश्योरेंस प्लान को ‘टॉप-अप’ या ‘सुपर टॉप-अप’ हेल्थ प्लान से भी अपग्रेड कर सकते हैं। कौन सा ऑप्शन आपके लिए बेहतर और सस्ता होगा ? आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है :
दोस्तों, टॉप-अप हेल्थ प्लान उन लोगों के लिए एक एक्स्ट्रा कवरेज देता है जिनके पास पहले से ही हेल्थ पॉलिसी है। यह काफी कम प्रीमियम में मिल जाता है। चूंकि कम कीमत में इससे अतिरिक्त कवर मिल जाता है, इसीलिए जिस व्यक्ति के पास पहले से इंश्योरेंस कवर है उसके लिए ये बहुत सही ऑप्शन है।
हालांकि टॉप-अप हेल्थ प्लान्स को लेने से पहले कुछ समझ लेना बहुत जरूरी है जैसे कि इसके दो हिस्से होते हैं- एक सम इंश्योर्ड और दूसरा डिडक्टिबल लिमिट। जब क्लेम डिडक्टिबल लिमिट से अधिक हो जाती है तो बढ़ा हुए क्लेम का पेमेंट इंश्योरेंस कंपनी करती है।
उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आपने एक टॉप-अप प्लान खरीदा है जिसका सम इंश्योर्ड 5 लाख रुपये है और डिडक्टिबल 2 लाख रुपये है। इस केस में अगर आपकी क्लेम राशि 2 लाख रुपये से अधिक बढ़ती है तो बढ़े हुए क्लेम को आपकी टॉप-अप पॉलिसी के तहत कवर किया जाएगा।
टॉप-अप पॉलिसी किसी एक्सिस्टिंग हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जो आपने लिया हुआ है, उसके साथ मिलकर बेहतर काम करता है। आप ऐसी टॉप-अप पॉलिसी खरीद सकते हैं जिसका डिडक्टिबल आपकी बेस पॉलिसी के सम इंश्योर्ड के बराबर हो। इस तरह डिडक्टिबल तक का क्लेम मूल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के जरिए हो जाएगा और बढ़े हुए क्लेम को टॉप-अप प्लान के तहत कवर कर लिया जाएगा।
टॉप-अप प्लान के तहत सभी क्लेम को डिडक्टिबल लिमिट से टैली कराया जाता है और अगर क्लेम डिडक्टिबल लिमिट से अधिक होता है तो बढ़े हुए क्लेम का भुगतान किया जाएगा।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आपको लगता है कि 10 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है और इसमें इजाफा किया जाना चाहिए। हेल्थ कवर की राशि जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, प्रीमियम की राशि भी बढ़ती जाती है। ऐसे में आप 15 लाख रुपए का टॉप अप कवर लेकर इसे 25 लाख कर सकते हैं। अब अगर किसी वजह से क्लेम करने की जरूरत पड़ती है और क्लेम की राशि 20 लाख रुपए होती है तो 10 लाख रुपए का क्लेम आप अपनी बेस पॉलिसी और बाकी 10 लाख रुपए का क्लेम टॉप अप पॉलिसी से कर सकते हैं।
‘टॉप-अप’ प्लान सिर्फ एक बार हॉस्पिटल में भर्ती होने का खर्च उठाता है। इसका मतलब यह है कि अगर एक बार भर्ती होने पर अस्पताल का बिल इंश्योरेंस प्लान की डिडक्टिबल लिमिट को पार कर जाता है, तो केवल एक बार ही ‘टॉप-अप’ प्लान का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें केवल एक बार ही क्लेम किया जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ सुपरटॉप–अपप्लान्स में एक साल में सभी क्लेम को डिडक्टबिल से टैली किया जाता है और एग्रीगेट क्लेम अगर डिडक्टिबल से अधिक होता है तो इसका भुगतान किया जाएगा।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आपको लगता है कि 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है और इसमें इजाफा किया जाना चाहिए। ऐसे में आप 10 लाख रुपए का ‘सुपर टॉप अप’ कवर लेकर इसे 15 लाख कर सकते हैं। मान लीजिए आप साल में 3 बार बीमार हुए पहले बार में 4 लाख, दूसरी बार में 3 लाख और तीसरी बार में 4 लाख का खर्च आया तो पहली बार का खर्च अपनी हेल्थ इंश्योरेंस से कवर हो जाएगा इसके बाद आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का 1 लाख रुपए बचेगा। वहीं 3 लाख का खर्च होने पर 1 लाख आपके हेल्थ इंश्योरेंस से जबकि 2 लाख सुपर टॉप-अप से कट जाएगा। वहीं तीसरी बार के हॉस्पिटल बिल का पूरा भुगतान ‘सुपर टॉप-अप’ प्लान से कर सकेंगे। इसके बाद भी आपके पास 4 लाख रुपए का कवर बचा रहेगा रहेगा। ‘सुपर टॉप-अप’ प्लान में सिंगल क्लेम की लिमिट नहीं होती है।
आज के समय में टॉप अप प्लान आपके लिए इतने फायदेमंद नहीं है क्योकि एक सिंगल बार ही क्लेम देता है। इसीलिए सुपर टॉप अप ही ले।इंश्योरेंस कंपनियां टॉप-अप प्लान के लिए कोई मेडिकल स्क्रीनिंग नहीं करती। यहां तक कि आप दूसरी कंपनी से भी टॉप-अप लेते हैं तो भी कोई स्क्रीनिंग नहीं होती।
आपके पास जो हेल्थ प्लान है, उसके सम इंश्योर्ड को डिडक्टिबल से मैच कराएं और तभी सुपर टॉप अप पालिसी ले ।
ऑप्टिमल कवरेज चुनें।
कवरेज बेनेफिट्स को देखें कि आपके कवरेज में क्या शामिल हैं ?
प्री-एग्जिस्टिंग वेटिंग पीरियड देखें और ऐसा प्लान चुनें जिसमें कम पीरियड हो ताकि जल्द से जल्द कवरेज मिल सके।
कवरेज लिमिट्स और सब-लिमिट्स को देखें और ऐसा प्लान चुनें जो कवरेज को लेकर रिस्ट्रिक्शंस न रखे।
प्लान के तहत किन अस्पतालों में फायदा ले सकते हैं, इसे जरूर देखें।
ऐसा प्लान चुनें जिसके नेटवर्क में अधिक से अधिक अस्पताल हों।
आइयेजानतेहैकीकितनीहोगीबचत
अगर बिना अधिक प्रीमियम चुकाए अधिक हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज चाहते हैं तो टॉप-अप पॉलिसी बेहतर विकल्प है। यह कितना प्रभावकारी है इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। आपकी उम्र 35 वर्ष है और आपके पास 5 लाख रुपये का प्लान है जिसकी प्रीमियम 6 हजार-8 हजार रुपये है। अब अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस कवर 10 लाख रुपये करना चाहते हैं तो आपके पास दो विकल्प है।
ऑप्शन 1: अपने कवरेज प्लान को बढ़ाकर 10 लाख रुपये का कर सकते हैं यानी कि 10 लाख रुपये का इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं। इस केस में आपको 10 हजार-12 हजार रुपये तक का प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में 5 लाख रुपये का कवरेज बढ़ाने के लिए 4-6 हजार रुपये का अतिरिक्त प्रीमियम चुकाना होगा।
ऑप्शन 2: आप 5 लाख का एक ऐसा सुपर टॉप-अप प्लान चुन सकते हैं जिसका डिडक्टिबल 5 लाख हो। क्योकि आपकी वर्तमान हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी 5 लाख की है तो टॉप-अप प्लान ऐसा होना चाहिए जिसका डिडक्टिबल 5 लाख रुपये हो। इसका प्रीमियम 1 हजार-2 हजार रुपये सालाना पड़ेगा। इस प्रकार 10 लाख रुपये के कवरेज के लिए आपको अतिरिक्त 1 हजार-2 हजार रुपये ही एक्स्ट्रा पेय करने होंगे। इस तरह देख सकते हैं कि कम प्रीमियम में भी टॉप-अप प्लान के जरिए कवरेज बढ़ा सकते हैं।
अगर आप किसी कंपनी में काम करते हैं जहां से आपको और आपके परिवार को हेल्थ इंश्योरेंस में तो कवर किया गया है लेकिन आपको लगता है कि आपके कवर की रकम काफी नहीं है तो आपका ‘सुपर टॉप-अप’ प्लान लेना सही रहेगा। क्योंकि अगर आप अलग से प्लान लेते हैं तो ये आपको काफी महंगा पड़ सकता है लेकिन ‘सुपर टॉप-अप’ प्लान आपके इस खर्च को कम कर सकता है।
तो दोस्तों इस तरह से आप समझदारी से सुपर टॉप अप प्लान लेके अपने इन्शुरन्स के कवरेज को भी बढ़ा सकते है और वो भी बेहद कम कीमत में।
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