दोस्तों, कोई भी इन्वेस्टर हो, सभी इन्वेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट पर सबसे ज्यादा रिटर्न चाहते हैं। और कोरोना के माहौल में हम जिस न्यू नार्मल समय में आज है वह लगभग हर इन्वेस्टर का एक ही सवाल है – की इस समय में सबसे स्मार्ट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन कोनसा है ? क्या म्यूचुअल फंड निवेश के लिए अच्छे हैं ? क्या मुझे फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित विकल्पों की तलाश करनी चाहिए? इस समय कोरोना की वजह से सभी के मन में एक डर है और यह होना स्वाभाविक भी है। चाहे हम एक्सपीरियंस इन्वेस्टर्स की भी बात करें वह भी इस समय इमोशन और लॉजिक के बीच में जूझ रहे हैं। इस न्यू नार्मल के हालत में कोनसे इन्वेस्टमेंट विकल्प आपके लिए बेहतर है और क्यों ? इस बारे में आज हम बात करेंगे और इसके साथ साथ जानेगे की पिछले एक साल में Sensex Vs Gold Vs Silver Vs PPF Vs FD कहा हुआ सबसे ज्यादा मुनाफा ? तो चलिए शुरू करते है :
दोस्तों, एक इन्वेस्टर के तौर पर बेहतर यह है कि आप अपनी पूरी इन्वेस्टमेंट एक ही जगह करने की बजाए उसे अलग अलग एसेट क्लास में करें। इनमें इक्विटी मार्केट, सोना-चांदी, फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा PPF या अन्य स्माल सेविंग्स स्कीम पॉपुलर इन्वेस्टमेंट के विकल्प हैं। एक स्मार्ट इन्वेस्टर के तौर पर आपके लिए जरूरी है कि अपना पैसा अलग अलग एसेट क्लास में लगाएं, जिससे रिस्क कम हो। वहीं टाइम टू टाइम पर एनालिसिस भी करना चाहिए कि कहां पैसा लगाने पर आपको क्या मिल रहा है। अगर आप भी सोच रहे होंगे कि कहां निवेश करना आपके लिए फायदेमंद रहा है। तो आइये सबसे पहले जान लेते है की पिछले एक साल में अलग अलग एसेट्स का कैसा प्रदर्शन रहा है।
सोना
1 साल में रिटर्न: 44.5 फीसदी
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,44,500 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 44,500 रुपये
चांदी
1 साल में रिटर्न: 65.3 फीसदी
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,65,300 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 65,300 रुपये
सेंसेक्स
1 साल में रिटर्न: 3 फीसदी
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,03,000 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 3000 रुपये
निफ्टी
1 साल में रिटर्न: 2.9 फीसदी
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,02,900 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 2900 रुपये
FD
1 साल में औसत रिटर्न: 6.8 फीसदी (अलग अलग बेंकों का औसत)
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,06,800 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 6800 रुपये
PPF
1 साल में रिटर्न: 7.9 फीसदी (1 साल पहले की दर)
1 साल में एक लाख की वैल्यू: 1,07,900 रुपये
1 लाख निवेश पर फायदा: 7900 रुपये
तो दोस्तों ये हमने आपको बताये पिछले एक साल के रिटर्न अलग अलग इन्वेस्टमेंट विकल्पों पर। पिछले एक साल की बात करे तो चाँदी ने सबसे हाई रिटर्न दिया है।
दोस्तों , हाई रिटर्न की बात करें तो इक्विटी मार्केट का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन इसमें समय समय पर उतार चढ़ाव का डर भी बना होता है। पिछले एक साल में इसका बेहतर उदाहरण मिला है, जब मार्केट रिकॉर्ड हाई से लो पर पहुंचा और फिर हाई की ओर बढ़ रहा है। वहीं, म्यूचुअल फंड में भी निवेश जोखिम के अधीन होता है । पीपीएफ या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी स्माल सेविंग्स स्कीम में निवेश पर रिटर्न की गारंटी होती है, हालांकि इसमें रिटर्न कम मिलता है। गोल्ड और सिल्वर निवेश के लिहाज से हमेशा से ही पॉपुलर विकल्प रहा है। जब इक्विटी में गिरावट होती है तो गोल्ड में सेफ हैवन के रूप में निवेश बढ़ जाता है। पिछले 1 साल में इसी वजह से गोल्ड में शानदार रिटर्न मिला है।
एक इन्वेस्टर के लिए ये जानना महत्वपूर्ण है कि आप किस निवेश विकल्प में निवेश करने जा रहे हैं और उसमें ग्रोथ की क्या संभावनाएं हैं। इन्वेस्टमेंट फाईनेंशियल और नॉन-फाईनेंशियल दो तरह के हो सकते हैं। फाईनेंशियल निवेश में बैंक डिपॉज़िट, म्युचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉज़िट आदि में निवेश किया गया पैसा शामिल होता है, वहीं नॉन-फाईनेंशियल निवेश में सोना, रियल एस्टेट आदि में निवेश किया गया पैसा शामिल होता है। आपके लिए कोनसा निवेश विकल्प बेस्ट है ये जानने के लिए आइये एक comparison देखते है अलग अलग इन्वेस्टमेंट विकल्पों का :
निवेश विकल्प | रिटर्न/ लाभ | टैक्स लाभ | जोखिम | लॉक–इन अवधि | किसे निवेश करना चाहिए |
इक्विटी मार्केट | बाजार आधारित | कोई टैक्स छूट नहीं | अधिक जोखिम | लागू नहीं | अधिक जोखिम वाले व्यक्ति |
म्यूचुअल फंड | बाजार आधारित | ELSS धारा 80 C के तहत टैक्स मुक्त हैं | कम से अधिक | ELSS जैसी योजनाओं में 3 साल का लॉक-इन अवधि है | अधिक जोखिम वाले व्यक्ति |
पब्लिक प्रोविडेंट फंड( PPF) | 7.9% | EEE श्रेणी के अंतर्गत आता है (छूट-छूट-छूट) | कोई जोखिम नहीं | 15 वर्ष | लंबी अवधि के निवेश लक्ष्यों के साथ भारतीय नागरिक |
बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट | निश्चित रिटर्न (बैंक से बैंक में भिन्न होता है) | टैक्स बचाने वाली FD में 1.5 लाख रु. तक की कटौती की अनुमति है | कोई जोखिम नहीं | 7 दिन | जोखिम या इक्विटी में जोखिम न लेने वाले व्यक्ति |
राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) | 8% से 10% (मार्केट लिंक्ड) | धारा 80 C के तहत कटौती की अनुमति देता है | कम से अधिक | 60 साल | निवेशक सेवानिवृत्ति निवेश योजनाओं की तलाश कर रहे हैं |
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) | निवेशक के पोर्टफोलियो पर निर्भर करता है | धारा 80 C के तहत कटौती के लिए योग्य | अधिक जोखिम | 45 वर्ष से कम या इसके बराबर | निवेशकों को जीवन कवर और फंड कमाने की तलाश करने वाले व्यक्तियों के लिए |
गोल्ड ETF | बाजार आधारित | डेट फंड के रूप में माना जाता है और उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है | निम्न से मध्यम | लागू नहीं | कोई भी व्यक्ति |
वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाएं (SCSS) | 8.7% | धारा 80 C के तहत कटौती के लिए योग्य | कोई जोखिम नहीं | 5 वर्ष | वरिष्ठ नागरिक |
रेकरिंग डिपॉज़िट | 7% | कोई टैक्स छूट नहीं | कोई जोखिम नहीं | 6 महीने | कोई भी व्यक्ति |
रियल एस्टेट | 10% से 15% | टैक्स योग्य आय पर 20% टैक्स कटौती | मध्यम जोखिम | लागू नहीं | कोई भी व्यक्ति |
डाक घर मासिक आय योजना (POMIS) | 7.7% | नो टैक्स रिबेट | कम जोखिम | 5 वर्ष | भारतीय निवासी |
दोस्तों comparison तो हमने बता दिया। स्मार्ट इंवेस्टमेंट करने के लिए, आपको बाज़ार में उपलब्ध विभिन्न निवेश विकल्पों के बारे में बहुत बारिकी से जानना चाहिए। ज्यादातर इन्वस्टर्स के लिए, एक बेस्ट इन्वेस्टमेंट प्लान का विकल्प उसके उद्देश्य, निवेश अवधि, जोखिम स्तर आदि पर निर्भर करता है। इसके अलावा, बचत और निवेश के बीच कंफ्यूज न हों। ये दोनों ही अलग अलग शब्द हैं, पहला आपके पैसे बचाने के एक निष्क्रिय तरीके को बताता है जबकि दूसरे वाले वाला पैसा बनाने और बढ़ने पर भी फोकस करता है।
निवेश विकल्प चुनने से पहले आपको कुछ बाते ध्यान में रखनी चाहिए :
लक्ष्य: –
निवेश योजना बनाते समय आपका लक्ष्य सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसी विभिन्न योजनाएं हैं जो विभिन्न निवेश लक्ष्यों के अनुसार हैं। क्या आप रिटायरमेंट के लिए निवेश कर रहे हैं? बच्चे की शिक्षा के लिए? संपत्ति खरीदने के लिए? उपलब्ध विकल्पों की ओर बढ़ने से पहले अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति अपने रिटायरमेंट के लिए योजना बना रहा होता है, तो वह एक ऐसी योजना को प्राथमिकता देता है जिससे उसे नियमित रूप से लम्बे समय तक आय प्राप्त हो। इसलिए, वह रिटायरमेंट फंड या NPS आदि में निवेश करना चाहते हैं।
निवेश अवधि
अगला इम्पोर्टेन्ट फैक्टर है कि आप कब तक के लिए निवेश करना चाहते हैं- निवेश अवधि कितनी है। लॉन्ग-टर्म, शॉर्ट-टर्म और मीडियम-टर्म इन्वेस्टमेंट के तहत वर्गीकृत इस आवश्यकता के अनुसार योजनाएं उपलब्ध हैं। अगर आप लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं तो आप लॉन्ग टर्म के म्यूचुअल फंड या PPF में निवेश कर सकते हैं और कम समय के लिए शॉर्ट टर्म निवेशक रेकरिंग डिपॉज़िट या डेट फंड चुन सकते हैं।
टैक्स लाभ
अधिकतर निवेशक ऐसे विकल्पों की तलाश करते हैं जो न केवल उनके पैसे बचाते हैं बल्कि टैक्स लाभ भी देते हैं। उस मामले में, आपको विभिन्न टैक्स-सेविंग निवेशों का विश्लेषण करना चाहिए और उनमें से किसी एक में निवेश करना चाहिए।
निवेश जोखिम
कुछ निवेश इंस्ट्रूमेंट, प्रमुख रूप से जो बाज़ार से जुड़े हुए हैं, उनमें कुछ हद तक जोखिम जैसे कि म्यूचुअल फंड और NPS हैं। जोखिम लेने क्षमता एक ऐसी चीज है जो हर व्यक्ति में भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, एक नौकरीपेशा व्यक्ति में बाज़ार के जोखिमों को लेने की क्षमता कम हो सकता है, लेकिन दूसरी ओर, एक व्यवसायी के पास वह ज़्यादा होती है। इसलिए निवेश विकल्प चुनते समय उसका रिटर्न/ लाभ देखने के साथ उसके जोखिम पर भी ध्यान दें|
ग्रोथ
अब आखिरी में निवेश की ग्रोथ की बात करते हैं कि आपका निवेश कितना बढ़ेगा? बेशक ऐसी योजना में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है जो आपको संतोषजनक रिटर्न/ लाभ देने वाली नहीं है। निवेश योजना को अंतिम रूप देने से पहले, उसका रिटर्न/लाभ, प्रदर्शन और अन्य विभिन्न फैक्टर्स का एनालिसिस करें।
तो दोस्तों इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखकर आप तय कीजिये की कोनसी इन्वेस्टमेंट स्कीम आपके लिए बेस्ट है। और स्मार्ट इन्वेस्टर बनके अपणी इन्वेस्टमेंट कीजिये। दोस्तों अपनी इन्वेस्टमेंट को समय समय पर एनालिसिस करते रहिये। ऐसा नहीं की इन्वेस्टमेंट कर दी और भूल गए। और निवेश के सबसे अहम् रूल को ध्यान में रखते हुए ही अपना निवश करिये। अपना सारा पैसा किसी एक स्कीम में इन्वेस्ट मत कीजिये। बल्कि अलग अलग क्लास में अपनी इन्वेस्टमेंट को डिवाइड कीजिये। तभी आपका पैसा सुरक्षित भी रहेगा और आपको बेहतर रिटर्न भी देगा।
तो दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल पसंद आया होगा। हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा ये हमें नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएगा। और हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर कीजियेगा। धन्यवाद् !