दोस्तों भारत में फिक्स्ड रिटर्न देने वाले इन्वेस्टमेंट ऑप्शनस को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इनमें भी फिक्स्ड डिपॉजिट बेहद पॉपुलर हैं। इसमें एक तो रिस्क बहुत कम होता है, वहीं रिटर्न की भी गारंटी मिलती है। एफडी में निवेश मार्केट से लिंक नहीं होता है, इसलिए इसमें बाजार के उतार चढ़ाव का असर नहीं होता है। वैसे तो एफडी की एक मेच्योरिटी अवधि होती है कि आपको इतने साल के लिए पैसा जमा करना होगा। लेकिन इसफा फायदा यह भी है कि जरूरत पड़ने पर समय से पहले भी पैसा निकाला जा सकता है। हालांकि मेच्योरिटी से पहले एफडी तोड़ने पर आपको ब्याज का नुकसान होता है, इस पर कुछ पेनल्टी भी देनी होती है। जो अलग अलग बैंकों में अलग अलग है । ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि समय से पहले एफडी तोड़ने पर ब्याज का कैलकुलेशन कैसे होता है। आज हम इसी बारे में बात करेंगे और जानेगे की अगर आपको किसी भी वजह से अपनी एफडी को समय से पहले तुड़वाना पड़ रहा है तो उस कंडीशन में आपको कितना नुक्सान होगा। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है :
एफडी के साथ एक बड़ा फायदा यह है कि आप जरूरत पड़ने पर अपना पैसा निकाल सकते हैं। लेकिन, बैंक इसके लिए पेनाल्टी लगाते हैं। एफडी को समय से पहले तुड़वाने की जरूरत इमर्जेंसी में पड़ती है। यह इमरजेंसी फंड की जरूरत होने पर बहुत मदद करता है।कोविड-19 की महामारी के चलते बड़ी संख्या में लोगों की इनकम पर असर पड़ा है। ऐसे संकट की स्थिति में जमाकर्ता अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट से प्रीमेच्योर विद्ड्रॉल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इसमें अक्सर जुर्माना देना पड़ता है। बैंक में एफडी खोलते समय जमाकर्ता के सामने दो तरह के अकाउंट चुनने का विकल्प रहता है। प्रीमेच्योर विद्ड्रॉल सुविधा के साथ, प्रीमेच्योर विद्ड्रॉल सुविधा के बिना। दूसरा विकल्प एक अनिवार्य लॉक-इन पीरियड के साथ आता है। प्रीमेच्योर विद्ड्रॉल एफडी की स्थिति में, अवधि खत्म होने से पहले जुर्माना देकर जमाकर्ता अपनी राशि को निकाल सकते हैं और अकाउंट को बंद कर सकते हैं। लेकिन ज्यादातर बड़े बैंकों ने अपनी नियम और शर्तों को तय कर रखा है।
आइये सबसे पहले जानते है की क्या होता है प्रीमेच्योर बिद्ड्रॉल
एफडी में प्रीमेच्योर बिद्ड्रॉल इन्वेस्टर को जरूरत पड़ने पर मेच्योरिटी से पहले निवेश का पैसा निकालने की सुविधा देता है। ज्यादातर ऐसा इमरजेंसी में होता है, जब अचानक से पैसों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए निवेशकों को पेनल्टी के रूप में एक तय अमाउंट बैंक को देना होता है। यह अमूमन 0.5 फीसदी से 1 फीसदी की रेंज में होता है। हालांकि कुछ बैंक जीरो पेनल्टी पर भी इसकी सुविधा देते हैं। वहीं, अगर मेच्योरिटी से सिर्फ 7 दिन पहले एफडी तोड़ते हैं तो कई बैंक इस पर कोई चार्ज नहीं लेते हैं।
कैसे कैलकुलेट होता है ब्याज
केस—1: जब मेच्योरिटी पीरियड पर मिलने वाला ब्याज, एफडी तोड़ने वाले समय से ज्यादा हो ।
उदाहरण: 5 साल की मेच्योरिटी, लेकिन 1 साल में निकालना है पैसा । यहां समय से पहले पैसे निकालने पर 1 फीसदी पेनल्टी है ।
पर्टिक्युलर्स | विवरण |
निवेश | ₹ 1 लाख |
एफडी की अवधि | 5 साल |
5 साल पर ब्याज | 7 फीसदी |
एक वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि | ₹ 1,07,186 |
1 साल पर ब्याज | 6.5 फीसदी |
इफेक्टिव रेट | एक साल में 6.5% |
समय से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी चार्ज | 1% |
देय ब्याज की अंतिम दर | 5.5% प्रति वर्ष |
समयपूर्व निकासी पर प्राप्त होने वाली राशि | ₹ 1,05,614 |
केस—2: जब मेच्योरिटी पीरियड पर मिलने वाला ब्याज, एफडी तोड़ने वाले समय से कम हो ।
उदाहरण: 2 साल की मेच्योरिटी, लेकिन 1 साल में निकालना है पैसा । लेकिन 2 साल की एफडी पर ब्याज 1 साल की एफडी से कम है । यहां भी समय से पहले पैसे निकालने पर 1 फीसदी पेनल्टी है ।
पर्टिक्युलर्स | विवरण |
निवेश | ₹ 1 लाख |
एफडी की अवधि | 2 साल |
2 साल पर ब्याज | 6 फीसदी |
एक वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि | ₹ 1,06,136 |
1 साल पर ब्याज | 7 फीसदी |
इफेक्टिव रेट | एक साल में 6% |
समय से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी चार्ज | 1% |
देय ब्याज की अंतिम दर | 5% प्रति वर्ष |
समयपूर्व निकासी पर प्राप्त होने वाली राशि | ₹ 1,05,095 |
तो दोस्तों इस तरह आपको एफडी टाइम से पहले तुड़वाने पर इतना नुक्सान उठाना पड़ेगा।
एसबीआई: एफडी तुड़वाने पर ये चार्ज
-5 लाख रुपये तक के रिटेल टर्म डिपॉजिट पर प्रीमेच्योर विदड्रॉल पर 0.50 फीसदी पेनाल्टी है।
-5 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 1 करोड़ रुपये से कम पर 1 फीसदी पेनाल्टी लागू है।
ICICI बैंक: एफडी तुड़वाने पर ये चार्ज
5 करोड़ से कम या ज्यादा की एफडी पर 1 साल से पहले विद्ड्रॉल पर 0.5 फीसदी पेनल्टी लगती है।
5 करोड़ से कम या ज्यादा की एफडी को 1 साल से 5 साल के पहले तोड़ने पर 1 फीसदी पेनल्टी।
5 करोड़ से कम और 5 करोड़ से ज्यादा की 10 साल की एफडी को 5 साल बाद और 10 साल से पहले तोड़ने पर 1 फीसदी और 1.5 फीसदी ब्याज लगता है।
एफडी तुड़वाने पर होने वाले नुक्सान से बचने के लिए आप एफडी तुड़वाने की बजाय उस पर लोन ले सकते है या ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी बनवा सकते है। इससे आपकी एमरजेंसी फण्ड की ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी और आपको आपकी एफडी तोड़ने का इंटरेस्ट का नुक्सान भी होगा और जिस उद्देश्य के साथ आपने एफडी बनवायी होगी आपका वो उद्देश्य भी पूरा हो जायेगा।
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