दोस्तों बैंक इंटरेस्ट रेट्स में जिस तेजी से गिरावट आयी है उसकी वजह से इन्वेस्टर्स ने अपना रुख शेयर मार्किट की तरफ किया है। और जैसे जैसे फाइनेंस और सेविंग के मुद्दों पर अवेयरनेस बढ़ रही है इन्वेस्टर धीरे धीरे रियल एस्टेट , फिक्स्ड डिपाजिट और गोल्ड से म्यूच्यूअल फण्ड और इक्विटी मार्किट में शिफ्ट हो रहा है। लेकिन शेयरों में निवेश करने वाले ज्यादातर छोटे निवेशकों को शेयर खरीदने या बेचने पर आने वाले खर्च के बारे में जानकारी नहीं होती है, जबकि हर निवेशक के लिए यह जानना जरूरी है। जब आप कोई शेयर (share) खरीदते या बेचते हैं तो यह ट्रांजेक्शन (transaction) ब्रोकर के जरिए होता है। इस ट्रांजेक्शन में कई तरह की लागत (cost) शामिल होती है। किसी निवेशक के लिए इस लागत को जानना जरूरी है। क्योकि तभी तो आपको पता चलेगा कि शेयर खरीदने या बेचने पर कुल क्या लागत आती है और किसी शेयर पर आपको एक्चुअल में कितना मुनाफा हुआ या कितना नुक्सान हुआ । आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है।
दोस्तों जब भी कोई इन्वेस्टर शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करता है तो उसे कई तरह के चार्जेज चुकाने होते है और जब इन्वेस्टर को इन चार्जेज की जानकारी नहीं होती तो वो कुछ ऐसी ट्रांसक्शन कर देता है जिनमे उसके अकॉर्डिंग तो उसे प्रॉफिट हुआ लेकिन एक्चुअल में उसे लोस्स हो रहा होता है।
शेयर में निवेश करने में टोटल 7 तरह के चार्जेज जिनके बारे में हम आज बात करेंगे वो है :
1. ब्रोकरेज चार्ज
2. सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स
3. स्टैंप ड्यूटी और जीएसटी
4. डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज
5. एक्सचेंज ट्रांसक्शन चार्जेज
6. SEBI चार्जेज
7. कैपिटल गेन टैक्स
इन् चार्जेज में सबसे पहला आता है ब्रोकरेज चार्ज
ब्रोकरेज चार्ज
यह वह चार्ज है जो ब्रोकरेज फर्म (brokerage firm) आपसे ट्रांजेक्शन के एवज में वसूलती है। यह चार्ज कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू (value of contract) पर निर्भर करता है। कुछ ब्रोकरेज कंपनियां एकसमान दर से यह चार्ज वसूलती हैं। ब्रोकर दो प्रकार के होते है।
1. फुल सर्विस ब्रोकर
ये वो ब्रोकर होते है जो इन्वेस्टर को all -inclusive ट्रेडिंग सर्विस प्रोवाइड करते है। इनकी सर्विसेज में स्टॉक ट्रेडिंग , करेंसी और कमोडिटीज के साथ साथ रिसर्च एडवाइजरी ,सेल्स और एसेट्स का मैनेजमेंट , इन्वेस्टमेंट बैंकिंग जैसी सर्विसेज शामिल होती है। फुल सर्विस ब्रोकर के चार्जेज दोनों इंट्राडे और delievery ट्रेडिंग पर 0.01% से 0.50% तक होते हैं।
2. डिस्काउंट ब्रोकर
डिस्काउंट ब्रोकर इन्वेस्टर को एक अत्यधिक कुशल एक्सेक्यूटिव प्लेटफार्म प्रदान करते हैं जिसका उपयोग आप शेयर और कमोडिटीज में व्यापार करने के लिए कर सकते हैं। उनका चार्ज कम है, और वे कोई निवेश सलाह प्रदान नहीं करते हैं। इन ब्रोकर्स का इंट्राडे और delievery ट्रेडिंग के मामले में एक फिक्स्ड चार्ज (10 रुपये या 20 रुपये का एक सामान्य चार्ज पर ट्रेड) लेते हैं। इनमें से कुछ ब्रोकर के delievery ट्रेडिंग के लिए कोई चार्ज नहीं है।
आपको याद रखना चाहिए कि किसी ब्रोकरेज चार्ज का पेमंट शेयर खरीदने और बेचने दोनों के दौरान करना होगा। उदहारण के लिए
मान लीजिए कि कोई ब्रोकर इंट्राडे व्यापार पर 0.05% का चार्ज लेता है। इसका मतलब है–
ब्रोकरेज चार्ज कुल ट्रेड का 0.05% है। मान लीजिए कि आपके द्वारा खरीदे गए शेयर की कॉस्ट 100 रुपये है। फिर ब्रोकरेज चार्ज 100 रुपये का 0.05% है, जो 0.05 रुपये है। फिर, ट्रेड पर कुल ब्रोकरेज चार्ज 0.05+ 0.05 रुपये है, जो 0.10 रुपये (खरीदने और बेचने के लिए) है।
जैसे–जैसे ब्रोकर्स के बीच कम्पटीशन का लेवल बढ़ रहा है, चार्जेज अधिक किफायती होते जा रहे हैं।
सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स
यह अनिवार्य चार्ज है, जो परसेंटेज के रूप में लगता है। शेयरों की डिलीवरी (delivery) वाले ट्राजेक्शन पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) की दर 0.1 फीसदी है।
एसटीटी एक तरह का इन-डायरेक्ट टैक्स है। यह सीधे निवेशक/ट्रेडर पर लगाने के बजाय ब्रोकर पर लगाया जाता है। बदले में ब्रोकर अपने क्लाइंट से इसे कलेक्ट करते हैं और सरकार को जमा करते हैं। निवेशक या ट्रेडर को यह टैक्स देना ही पड़ता है, फिर चाहे उन्हें प्रॉफिट हुआ हो या नहीं हुआ हो।
स्टैंप ड्यूटी और जीएसटी
स्टैंप ड्यूटी राज्य सरकार वसूलता है,क्योंकि शेयरों के ट्रांजेक्शन में सिक्योरिटी (security) एक पार्टी से दूसरे पार्टी को ट्रांसफर (transfer) होती है। जुलाई 2017 से ही शेयर बाजार में लेन-देन करने वालों को जीएसटी भी चुकानी होती है। जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स 18 फीसदी की दर से ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन चार्ज के टोटल पर लगता है। इसकी मौजूदा दर सीजीएसटी (CGST) के लिए 9 फीसदी और एसजीसीटी (SGST) के लिए 9 फीसदी है। यानी कि आपकी ट्रांजेक्शन पर जितना अधिक ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन चार्ज लगेगा, आपको जीएसटी भी उतना अधिक चुकाना होगा। अधिकतर ब्रोकर डिलीवरी पर ब्रोकरेज नहीं लेते, तो डिलीवरी पर जीएसटी कम और इंट्रा डे पर अधिक लगता है।
डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज
Dp Charge का फुल फॉर्म depository participant Charge होता हैं। यह चार्ज डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट-एनएसडीएल (NSDL) या सीडीएसल (CDSL) की तरफ से लगाया जाता है। निवेशक के शेयर सुरक्षित रखने के एवज में डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट ये चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप कोई शेयर डिलीवरी (आज खरीद कर कल कभी भी बेचना) पर खरीदते है, तो खरीदा गया शेयर आपके डीमेट अकाउंट में चले जाते हैं। आपका यह डीमेट अकाउंट CDSL या NSDL में से किसी एक Depository के साथ खुलता हैं।
अब आप किसी कंपनी के शेयर्स बेचोगे तो आपको यह चार्ज देना पड़ेगा। फिर चाहे आप एक दिन में किसी कंपनी के 1 शेयर बेचो या एक से अधिक कितने भी ।
कुछ डिस्काउंट ब्रोकर्स के Dp Charge चार्जेस इस प्रकार है :
Zerodha:- ₹13.5 +18GST = ₹15.93
इन Dp Charges में ब्रोकर भी अपना कुछ चार्ज वसूलता हैं। जैसे Zerodha CDSL के साथ आपका डीमेट अकाउंट खोलता है, और CDSL आपसे केवल ₹5.5 dp charge लेता हैं। इस चार्ज में जेरोधा भी अपने ₹8 भी जोड़ देता हैं। ₹5.5 तथा ₹8 का जोड़ ₹13.5 बन जाता हैं।
सीएसडीएल के लिए डीमैट लेनदेन शुल्क: 5.50 रुपये
एनएसडीएल के लिए डीमैट लेनदेन शुल्क: 4.50 रुपये
एक्सचेंज ट्रांसक्शन चार्जेज
यह चार्जेज NSE और BSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा लिए जाते है। अगर आप NSE के जरिए शेयर खरीदेंगे तो आपको Intraday या फिर डिलीवरी में कुल ट्रांसक्शन के 0.00325 % चार्ज लगेगा। वही BSE पर ट्रांसक्शन चार्जेज 0.00325 % के बदले सिर्फ 0.003 % ही लगेगा।
इसके अलावा फ्यूचर ट्रेडिंग पर 0.0019 % और ऑप्शनस पर 0.05 % लगता है।
SEBI चार्जेज
दोस्तों ये तो हम सब जानते है की SEBI कैपिटल मार्किट का रेगुलेटर है। इस के लिए वह शेयर की हर खरीद बिक्री को मिलाकर कुल ट्रांसक्शन पर कुछ चार्ज लेती है। यह चार्ज हर 1 करोड़ के ट्रांसक्शन पर 5 रुपए के हिसाब से लेती है। यानी अगर आपका ट्रांसक्शन 1 करोड़ का हुआ तो 5 रुपए , 10 करोड़ का हुआ तो 50 रुपए और 1 लाख का हुआ 5 पैसा।
कैपिटल गेन टैक्स
शेयरों के लेन-देन से दो तरह के कैपिटल गेन होते हैं, पहला है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और दूसरा है लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने शेयर कितने समय तक रखा है। 1 साल से कम की अवधि में हुई कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहते हैं और एक साल या उससे अधिक की अवधि में हुई कमाई को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख से अधिक की रकम पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
दोस्तों आज हमने स्टॉक मार्किट चार्जेज को डिसकस किया। शेयर बाजार में इन दिनों लगातार आ रही तेजी और हर दिन बन रहे नए रेकॉर्ड लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। अधिक से अधिक लोग शेयर बाजार में निवेश करने की सोच रहे हैं, क्योंकि उन्हें अच्छा रिटर्न दिख रहा है। बेशक अभी शेयर बाजार में अच्छा रिटर्न मिल रहा है, लेकिन किसी को भी शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले ये जान लेना चाहिए कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितने तरह के टैक्स और चार्जेज (taxes on share market earning) लगते हैं, ताकि वह अपने रिटर्न का सही आकलन कर सकें। और कोई ऐसे ट्रांसक्शन न करे जिसमे उसे लगे की प्रॉफिट हो रहा है लेकिन वास्तव में उसे नुक्सान हो।
दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल अच्छा लगा होगा।