How to save and invest money for Child’s Education? | बच्चों की शिक्षा के लिए कैसे करें सेविंग ?
Share
दोस्तों हमारे देश में अधिकतर माता-पिता बच्चों के जन्म के साथ ही उनकी शिक्षा के लिए सोचना शुरू कर देते हैं और अपने बच्चों के बड़े होने पर उन्हें एक प्रसिद्ध कॉलेज से शिक्षा दिलवाना चाहते हैं। हालांकि इसे लेकर माता-पिता के सामने वित्तीय समस्याएं भी सामने आती हैं। 12 तक की एजुकेशन में तो फिर भी कोई खास समस्या नहीं आती लेकिन 12 के बाद एक दम से बच्चे की पढाई को लेके बहुत ज्यादा एक्सपेंस बढ़ जाता है और उस समय माता पिता के सामने वित्तीय समस्याएं आती है।
आपके बच्चे की पढाई के लिए आपको किसी फाइनेंसियल प्रॉब्लम का सामना न करना पड़े इसके लिए आपको कुछ बातो का एनालिसिस करने की जरुरत होती है जैसे की –
बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए कितने पैसो की जरूरत पड़ेगी?
बच्चों की शिक्षा के लिए राशि कैसे इकट्ठा करें? कितनी करे बचत और कितना करे निवेश ?
निवेश करने के लिए सही इंस्ट्रूमेंट कैसे चुनें?
हर महीने कितनी राशि के निवेश की आवश्यकता होगी?
ये सोचना कि एजुकेशन लोन मिलना आसान है ये गलती न करे।
अगर आप अपने बच्चे को फॉरेन में पढ़ने का सपना रखते है तो फॉरेन एक्सचेंज रिस्क को अनदेखा न करें।
ये सारी बाते अगर आपको भी परेशान करती है तो आज हम इन्ही सबके बारे में बात करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते है –
दोस्तों , जब आप अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बचत करना शुरू करते हैं, तो इस दौरान इन्फ्लेशन यानी मुद्रास्फीति का ध्यान रखना जरूरी होता है। भारत में पढ़ाई-लिखाई का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। हायर एजुकेशन की लागत और इसके संबंधित अन्य लागतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन रही है। जिस तरह लगातार महंगाई बढ़ रही है, इस हिसाब से आने वाले 15-20 सालों के बाद शिक्षा की लागत भी बढ़ जाएगी। अगर आप अपने बच्चे की शिक्षा के लिए सेविंग करने जा रहे हैं, तो निवेश करने से पहले बढ़ी हुई लागत की गणना कर लेनी चाहिए।
बच्चे की उच्चतर शिक्षा के लिए कितनी राशि की जरूरत पड़ेगी?
एक इंजीनियरिंग कोर्स जिसकी लागत आज लगभग 7 लाख रुपये हो सकती है, 16 साल बाद, 7 प्रतिशत की इन्फ्लेशन के हिसाब से आपको इसमें 20 लाख रुपये से अधिक की लागत आएगी। इसी तरह, हायर एजुकेशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में आज के समय में लगभग 20 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन इन्फ्लेशन के हिसाब से देखा जाए तो आने वाले 15-20 सालों में यह लागत बढ़कर 60 लाख रुपये हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए पेरेंट्स के पास एक क्लियर फाइनेंसियल टारगेट होना चाहिए और इसी आधार पर उन्हें अपनी इन्वेस्टमेंट स्टार्ट करनी चाहिए।
निवेश शुरू करने से पहले आप इस फॉर्मूले का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप यह पता लगा सकते हैं कि इन्फ्लेशन के हिसाब से आने वाले समय में किसी कोर्स में कितना खर्च आएगा।
बढ़ी हुई लागत (IC) = वर्तमान लागत (PC) (1+r/100)n
यहां
Inflation Cost (IC) = भविष्य में किसी कोर्स में आने वाला खर्च है।
Present Cost (PC)= वर्तमान में किसी कोर्स में आने वाला खर्च है।
R = इन्फ्लेशन रेट है।
n = जितने सालों में आप अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं।
आइये इसे एक उदाहरण से समज़ते है –
मान लीजिए
PV = किसी कोर्स की वर्तमान लागत 5 लाख रुपये है।
R = इन्फ्लेशन रेट 7 फीसदी है।
n = लक्ष्य तक पहुंचने में लगने वाला समय 16 साल है।
इस फॉर्मूले के हिसाब से 16 साल बाद आपको किसी कोर्स में आने वाला खर्च होगा –
5 X (1+.07)^16 = 14.70 लाख रुपये
यहां आप देख सकते हैं कि जिस कोर्स की लागत आज के समय में 5 लाख रुपये हैं, उसकी लागत आज से 16 साल बाद 14.70 लाख रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि इस बढ़ी हुई लागत को ध्यान में रखते हुए ही पेरेंट्स को निवेश करना चाहिए। बढ़ी हुई लागत की गणना करने का कारण यह है कि इससे आपको पता चलता है कि असल में कितना सेविंग करना है। अगर आप इन्फ्लेशन को ध्यान में रखे बिना ही सेविंग करते हैं, तो इससे आपको भविष्य में दिक्कत आ सकती है।
ज्यादातर लोग सबसे बड़ी गलती ये ही करते है की वो इन्फ्लेशन पर ध्यान नहीं देते और इसी वजह से वो जो पैसा निवेश करते है वो काफी नहीं होता बच्चे की एजुकेशन के लिए। तो आप ये गलती बिलकुल न करे और इस फॉर्मूले को इस्तेमाल करके ये जाने की आपके बच्चे को कितने पैसे की ज़रूरत होगी हायर एजुकेशन के लिए।
अगर आप बच्चे के उच्च शिक्षा के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपको कोर्स की फीस के अलावा किताब, आने-जाने, कोचिंग आदि के खर्च को भी इसमें शामिल करने की जरूरत है। कुछ मामलों में तो कोचिंग का खर्च कोर्स की फीस से अधिक हो सकता है।
बच्चों की शिक्षा के लिए राशि कैसे इकट्ठा करें? कितनी करे बचत और कितना करे निवेश ?
इस फॉर्मूले को इस्तेमाल करके आप ये तो जान सकते है की आपको आपके बच्चे की उच्चतकर शिक्षा के लिए कितने पैसो की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सबसे पहले सवाल उठता है कि ये अमाउंट कैसे जुटाएं। इसका असान सा जवाब है कि इसके लिए आपको नियतिम तौर पर निवेश करना होगा। जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी निवेश स्टार्ट करे। अभी से ही हर महीने कुछ राशि जमा करना शुरू कर दें तो आप बच्चें की उच्चतर शिक्षा के उम्र तक आते आते टार्गेटेड अमाउंट जमा कर लेंगे।
उदाहरण के हिसाब से –
हर महीने 850 रुपये की बचत करके 12 प्रतिशत की अनुमानित एनुअल ग्रोथ रेट पर आप 16 साल बाद 5 लाख रुपये प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए आपको 14.70 लाख रुपये की जरूरत होगी। इसके लिए आपको असल में हर महीने 2500 रुपये का निवेश करना होगा ताकि 16 साल बाद 14.7 लाख रुपये की रकम मिल सके।
इसी तरह, 15 साल बाद 1 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए, 12 प्रतिशत की अनुमानित ग्रोथ रेट पर आपको हर महीने 20000 रुपये का निवेश करना होगा। आप अपने इन्वेस्टमेंट की योजना बनाने और लंबी अवधि के लक्ष्यों तक आसानी से पहुंचने के लिए इन्फ्लेशन कैलकुलेटर और एसआईपी कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
निवेश करने के लिए सही इंस्ट्रूमेंट कैसे चुनें?
आप फंड जुटा पायेंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने निवेश के लिए किन विकल्पों को चुना है। ग्रोथ या डिफेंसिव, ये दोनों निवेश करने के मुख्य तरीके हैं। आम तौर पर निवेश की लंबी अवधि के लिए वित्तीय सलाहकार ग्रोथ ऑप्शन में इन्वेस्ट करने की सलाह देते हैं। इनमें शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड और इस जैसे विकल्प शामिल हैं। फिक्स्ड डिपाजिट (FD), PPF या EPF जैसे निवेश डिफेंसिव कहे जाते हैं। इनमें आपकी पूंजी तो सुरक्षित रहती है, लेकिन आपको मनमाफिक रिटर्न नहीं मिल पाता है। कई बार तो निवेश के इन विकल्पों से आपको महंगाई की तुलना में भी कम रिटर्न मिलता है। अगर आप डिफेंसिव ऑप्शन को सेलेक्ट करते है तो आपका इन्वेस्टमेंट अमाउंट बहुत ज्यादा होगा।
निवेश के विकल्प बच्चे की उम्र के हिसाब से तय किया जाना चाहिए। अगर बच्चा इस समय स्कूल में जाने की तैयारियों में जुटा है तो आप निवेश के लिए एग्रेसिव प्लान बना सकते हैं। अगर आपका बच्चा दसवीं में पढ़ रहा है तो आपको जोखिम वाला निवेश विकल्प नहीं चुनना चाहिए।
हर महीने कितनी राशि के निवेश की आवश्यकता होगी?
यदि आप इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट चुनते हैं, तो आपको 12 फीसदी के निश्चित रिटर्न की उम्मीद रखते हुए अपनी इन्वेस्टमेंट प्लान कर सकते है। दूसरे विकल्प में, आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रति माह थोड़ी और ज्यादा राशि निवेश करनी पड़ सकती है। यदि आप अंतिम विकल्प के रूप में केवल डेट इंस्ट्रूमेंट चुनते हैं, तो आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ अधिक राशि का निवेश करना होगा। अपने टारगेट को ध्यान में रखकर आप सेलेक्ट कर सकते है की आपको कितना अमाउंट निवेश करना है और किस ऑप्शन में निवेश करना है।
ये सोचना कि एजुकेशन लोन मिलना आसान है ये गलती न करे।
ऐसा भी हो सकता है कि आपका कॉलेज फंड कम पड़ जाए। आप एक एजुकेशन लोन लेकर इस कमी को पूरा कर सकते हैं। अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसों का इंतजाम करते समय, अपने रिटायरमेंट से संबंधित जरूरतों को अनदेखा न करें, और उसके लिए भी निवेश करते रहें। इसके अलावा एजुकेशन लोन के कारण आपके बच्चे में फाइनैंशल जिम्मेदारी की भावना पैदा हो सकती है जब वह काम करने लगेगा क्योंकि उस समय उस कर्ज को चुकाने का भार उसी पर होगा।
लेकिन एजुकेशन लोन देने के लिए बैंकों के कुछ सख्त पैरामीटर होते हैं। यह कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आपकी इनकम, जिस कॉलेटरल को आप गिरवी रखने के लिए तैयार हैं, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन और उस कोर्स से जॉब मिलने का चांस जो आपका बच्चा लेना चाहता है। सभी कोर्स के लिए फाइनेंस अवेलेबल नहीं होता है जिसकी वजह से आपको एजुकेशन का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ सकता है। आपके पास बच्चे की एजुकेशन के लिए एक अच्छा कॉर्पस होना चाहिए ताकि अगर बैंक द्वारा आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है तो इसकी की वजह से आपके बच्चे का सपना अधूरा न रह जाए।
फॉरेन एक्सचेंज रिस्क
अगर आप अपने बच्चे को फॉरेन में पढ़ने का सपना रखते है तो फॉरेन एक्सचेंज रिस्क को अनदेखा न करें। भारत में ऐसी कई यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूशन हैं जो फॉरन टाइ-अप ऑफर करते हैं और एक स्टूडेंट को ओवरसीज कैंपस में एक या दो सेमेस्टर ऑफर करते है। यदि फॉरेक्स रेट आपके अगेंस्ट जाता है तो यह आपके लिए और ज्यादा महंगा साबित हो सकता है। इसलिए फॉरन एक्सचेंज रिस्क से निपटने के लिए आप US फोकस्ड इक्विटी फंडों के माध्यम से ओवरसीज इन्वेस्टमेंट के लिए कुछ पैसे एलोकेट कर सकते हैं।
दोस्तों इस तरह से आप अपने बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए एक अच्छा खासा फण्ड तैयार कर सकते है जिससे की बच्चे की एजुकेशन के समय जब आपको पैसो की ज़रुरत हो तो आपको पैसे जुटाने में किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। अपने बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए फंड तैयार करते समय, ग्रोथ पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करें। टार्गेटेड रिजल्ट पाने के लिए, आप अपनी वर्तमान आय और अपने निवेश पर रिटर्न की दर के अनुसार इसमें बदलाव कर सकते हैं।
तो दोस्तों इस तरह उम्मीद करते है की आप अपने बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए एक फंड तैयार कर पाएंगे। और आज की जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी।