भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के क्लेम सेटलमेंट रेशियो में कमी आई है। यह 2019-20 में 96.6% रहा जो 2018-19 में 97.7% था। इस मामले में मैक्स लाइफ 99.2% रेशियो के साथ टॉप पर रही। कुल 24 कंपनियों में से इस साल LIC 17 वें नबंर पर रही है। खास बात यह है कि प्राइवेट बीमा कंपनियों का सेटलमेंट रेशियो इस दौरान 96.7 से बढ़कर 97.18 फीसदी हो गया। क्या होता है क्लेम सेटलमेंट रेश्यो ? क्यों है ये महत्वपूर्ण ? और जब भी आप कोई इन्शुरन्स पालिसी खरीदने की सोच रहे हो तो आपको क्लेम सेटलमेंट रेश्यो का क्यों ध्यान रखना चाहिए। आज हम इसी बारे में बात करेंगे और जानेगे की इस बार क्लेम सेटलमेंट रेश्यो में कोनसी कम्पनीज रही टॉप 10 में। तो चलिए शुरू करते है।
आइये सबसे पहले जानते है की क्या होता है क्लेम सेटलमेंट रेश्यो ?
दोस्तों , क्लेम सेटलमेंट रेशियो से पता चलता है कि एक फाइनेंसियल ईयर में हर 100 क्लेम्स में से कितने क्लेम का पेमेंट बीमा कंपनी ने किया है। यह रेश्यो जितना ज्यादा होता है, दावों के निपटारे में बीमा कंपनी का प्रदर्शन उतना ही अच्छा माना जाता है। बीमा कंपनी कई वजहों से दावा खारिज कर सकती है। यह बीमा कंपनी के नियम और शर्तों के आधार पर होता है। क्लेम सेटलमेंट रेशियो का कैलकुलेशन, किए गए टोटल क्लेम में सेटल किए गए टोटल क्लेम से भाग देकर किया जाता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए, एक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के पास 1000 डेथ क्लेम किए गए हैं, और उनमें से उस कंपनी ने 924 क्लेम का सेटलमेंट किया है, तो उस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 92.40% और क्लेम रिजेक्शन रेट 7.60% होगा।