अपना घर लेने का सपना हम सबका होता है। और इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए हमें ज़रूरत पड़ती है होम लोन की। आम तौर पर लोग 20 साल या उससे ज्यादा समय के लिए होम लोन लेते हैं। . यह आपके और लोन देने वाले फाइनेंसियल इंस्टीटूशन के बीच एक लम्बे पीरियड का कॉन्ट्रेक्ट होता है। कई बार आप होम लोन का प्रीपेमेंट करना चाहते हैं। लोन और इसके ब्याज से जल्दी छुटकारा पाने के लिए प्री-पेमेंट एक बेहतर विकल्प है। हम सभी अपने कर्ज का भुगतान जल्द से जल्द करना चाहते हैं और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल कमिटमेंट से छुटकारा पाना चाहते हैं। अगर आपको किसी अन्य स्रोत से एकमुश्त रकम मिल गई है तो आप प्री-पेमेंट करके EMI को कम करवा सकते हैं। प्री-पेमेंट की गई राशि से प्रिंसिपल अमाउंट यानी कि जो राशि कर्ज में ली गई है, उसे एडजस्ट किया जाता है और यह अमाउंट कम हुआ तो इसका असर EMI पर दिखेगा।
अगर आप भी होम लोन का प्री पेमेंट करना चाहते है तो कुछ बातो को ध्यान में रखकर ही प्री पेमेंट करिये। आज हम बात करेंगे की क्या होम लोन का प्री पेमेंट करना सही होता है। और अब जब आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि की तो क्या ये सही समय है होम लोन की प्री पेमेंट करने का।
तो चलिए शुरू करते है –
रिजर्व बैंक की रेपो रेट में वृद्धि के बाद जब आपका बैंक ब्याज की दरें बढ़ाता है तो इसका सीधा असर आप पर पड़ता है ओर आपके मौजूदा लोन पर इंटरेस्ट रेट भी बढ़ जाता है। ब्याज दरों को काबू में रखने के लिए आपका बैंक आपको दो विकल्प देता है या तो आप अपनी EMI बढ़वाएं या अपना टेन्योर बढ़वाकर। तीसरा विकल्प आप प्री पेमेंट कर अपना सकते हैं। लेकिन यह उन्हीं पर एप्लीकेबल होगा जिनके पास अतिरिक्त अमाउंट है प्री पेमेंट के लिए।
जब आपके मौजूदा लोन पर इंटरेस्ट रेट बढ़ता है, तो आपको लेंडर से दो विकल्प मिलते हैं- या तो आपकी EMI बढ़ती है या आपका टेन्योर बढ़ता है। आइए जानते हैं कि दोनों मामलों में आपके लोन पर क्या असर होता है –
EMI on Loan amount of Rs. 75 Lakh for a tenure of 20 years
Option | Before increase in Interest | After Increase in Interest | How much more you have to Pay during loan tenure? | ||||||
Interest Rate % | EMI (In Rs.) | Total payment in 20 yrs | No of payment | Interest Rate % | EMI (In Rs.) | Total payment in 20 yrs | No of payment | ||
Option 1 – When EMI increased and repayment tenure remains same | 6.5% | 55,917.99 | 1,34,34,473 | 241 | 6.9% | 57,698.09 | 1,38,63,637.43 | 241 | 429164.77 |
Option 2- When EMI kept same and repayment tenure is increased | 6.5% | 55,917.99 | 1,34,34,473 | 241 | 6.9% | 55,917.99 | 1,43,58,273.16 | 257 | 923800.50 |
जैसा की आप देख सकते है की दोनों ही मामलों में बॉरोअर्स को अधिक ब्याज का भुगतान करना होगा, हालांकि, अगर आप EMI में बदलाव नहीं करते और टेन्योर बढ़ाते हैं तो अधिक ब्याज देना होगा। ऐसे में आपके लोन पर इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने के लिए लोन प्री-पेमेंट एक बेहतर तरीका हो सकता है।
जब आप प्री-पेमेंट करते हैं, तो बैंक आपको अपनी लोन लायबिलिटी को फिर से एडजस्ट करने के लिए अलग-अलग विकल्प देता है। पहला विकल्प ये है कि EMI में कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन आपका टेन्योर कम हो जाता है। नतीजतन EMI की संख्या में कमी आती है। दूसरा विकल्प यह है कि आपका टेन्योर वही रहता है लेकिन EMI कम हो जाती है।
आपको सही री-पेमेंट रणनीति के साथ तैयार रहना चाहिए। आपके लेंडर के पास कई री-पेमेंट विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं जो आपको ब्याज बचाने और किसी तरह के तनाव से बचने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, अपने लेंडर के साथ चर्चा करने में संकोच न करें और अपने लिए सही विकल्प का चुनाव करें।
दोस्तों महंगी EMI के इस मुश्किल दौर में किस्तों की मार से बचने के लिए प्री पेमेंट एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अगर आपको अपने आफिस से या फिर किसी भी अन्य जगह से कोई लम्पसम अमाउंट मिल गया है तो आप प्री पेमेंट कर अपनी EMI को बढ़ने से रोक सकते हैं। और चिंता से मुक्त हो सकते है। तो अगर आपने पास प्री पेमेंट के लिए पैसे है तो ये सही समय है अपने होम लोन के प्री पेमेंट करने का। जिससे इंटरेस्ट रेट बढ़ने से ना आपकी EMI बढे और न ही आपका लोन टेन्योर।