दोस्तों आमतौर पर जब भी कोई हेल्थ इंश्योरेंस खरीदता है, तो वह पॉलिसी के प्रीमियम के हिसाब से सबसे सस्ता प्लान ही चुनता है। कभी भी हेल्थ प्लान की तुलना सिर्फ प्रीमियम दर के आधार पर करना ठीक नहीं होता क्योंकि प्लान के फीचर देखने भी जरूरी हैं। एक आम गलतफहमी यह है कि अगर हमें कोई बीमारी है, तो हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त इसकी जानकारी देना नहीं चाहते। लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपना पॉलिसी आवेदन खारिज होने या प्रीमियम राशि बढ़ जाने का डर होता है। लेकिन यहां आप ये ज़रूर जान लीजिये कि जब आप कोई क्लेम करने जाएंगे और बीमा कंपनी को यह पता चलता है कि आपने कोई जानकारी छिपाई है, तो आपका क्लेम खारिज भी हो सकता है। आपको अपने स्वास्थ्य से जुड़े सभी जरूरी तथ्य बताने चाहिए क्योंकि भले ही इससे प्रीमियम की राशि बढ़ जाएगी लेकिन कम से कम आपका क्लेम तो खारिज नहीं होगा। आपको अपनी इन्शुरन्स कंपनी से ईमानदार रहना चाहिए।
आज हम इसी बारे में बात करेंगे और जानेगे की अगर किसी व्यक्ति को कोई प्री एक्सिस्टिंग डिजीज है तो उसे हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी लेते वक़्त किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए, जिससे की उसे उसकी ज़रूरत के वक़्त क्लेम लेने में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े।
तो चलिए शुरू करते है।
पिछले कुछ सालों में लाखों पॉलिसीधारकों के लिए पहले से मौजूद बीमारी काफी विवाद का विषय रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर पॉलिसी खरीदते समय हम में से ज्यादातर लोग इन सवालों को समझे बिना नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन, ये इतने मुश्किल भी नहीं हैं यदि आप इसे अच्छी तरह समझते हैं और अपने बीमाकर्ता (इंश्योरर) को पहले से मौजूद अपनी कंडीशन के बारे में एडवांस में बता दें। यदि आप पॉलिसी खरीदते समय पहले से मौजूद बीमारी (Pre-existing illness) को छुपाते हैं तो बीमा कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है। हालांकि, IRDAI द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइनों के तहत, सभी पॉलिसियो में एक मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) जोड़ा गया है। मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) के तहत बीमाकर्ता धोखाधड़ी वाले क्लेम को छोड़कर, पॉलिसी में 8 साल बाद के क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकते।
आइये सबसे पहले जानते है की प्री एक्सिस्टिंग बिमारी होती क्या है ?
मौजूदा बीमारी (Pre-Existing illness) का मतलब ऐसी बीमारी से है जो आपको बीमा पॉलिसी (Before buying health insurance policy) खरीदने से पहले से ही होती हैं।
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के अनुसार, “पहले से मौजूद बीमारी का मतलब किसी भी कंडीशन, बीमारी, या चोट से है जिसका चिकित्सक द्वारा डायग्नोज पॉलिसी की प्रभावी तिथि से 48 महीने के भीतर किया जाता है। ”
यहां सवाल उठता है कि क्या आप पहले से मौजूद बीमारी के साथ स्वास्थ्य बीमा खरीद सकते हैं? बाजार में कुछ ऐसी हेल्थ पॉलिसीज हैं, जो कि एक या एक से अधिक मौजूदा बीमारियों के होने पर भी कवरेज प्रदान करती हैं।
वेटिंग पीरियड
बीमा कंपनियों के पास पॉलिसी खरीदते समय पहले से मौजूद बीमारियों के लिए दो-चार साल का वेटिंग पीरियड होता है। एक बार यह पीरियड पूरा हो जाने के के बाद, आप पहले से मौजूद बीमारियों से संबंधित क्लेम कर सकेंगे। यह एक सामान्य कवरेज की शर्त है जो अधिकांश स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में पाई जाती है। केवल पहले से मौजूद बीमारियों के लिए एक वेटिंग पीरियड होता है, जो उस तारीख से शुरू होती है जब पॉलिसी जारी की जाती है। वेटिंग पीरियड के दौरान स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत पहले से मौजूद बीमारियों से उत्पन्न होने वाली मेडिकल इमरजेंसी के लिए कवरेज नहीं मिलता है। हालांकि, एक बार वेटिंग पीरियड ख़तम होने के बाद, किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के लिए कवरेज प्रदान की जाती है, जो आपकी प्री एक्सिस्टिंग डिजीज के कारण हुई हो ।
पहले से मौजूद बीमारी के बारे में कैसे बताएं?
प्रपोजल फॉर्म भरते समय इसकी जानकारी दें। इंश्योरेंस कंपनी पहले से मौजूद बीमारी के बारे में पूछताछ करने के लिए एक वेरीफिकेशन कॉल भी करती हैं। बिना किसी फैक्ट को छुपाए सभी जानकारियां सही-सही देने की जिम्मेदारी पॉलिसी होल्डर की होती है ,
प्रपोजल फॉर्म में स्मोकिंग (धूम्रपान) और शराब पीने से संबंधित सवाल भी शामिल हैं। बेहतर होगा कि आप उनका जवाब देते समय ईमानदार रहें।
पहले से मौजूद बीमारी छिपाना
यदि आप पॉलिसी खरीदते समय पहले से मौजूद बीमारी (Pre-existing illness) को छुपाते हैं तो बीमा कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है। हालांकि, IRDAI द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइनों के तहत, सभी पॉलिसियो में एक मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) जोड़ा गया है। मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) के तहत बीमाकर्ता धोखाधड़ी वाले क्लेम को छोड़कर, पॉलिसी में 8 साल बाद के क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकते।
पहले से मौजूद बीमारियों की घोषणा
पहले से मौजूद बीमारियों की घोषणा के बाद, बीमा कंपनी निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
प्री-एंट्रेंस हेल्थ चेक-अप: पहले से मौजूद बीमारियों के मामले में, स्वास्थ्य बीमा कंपनियां आमतौर पर पॉलिसी जारी करने से पहले प्री-एंट्रेंस हेल्थ चेक-अप की मांग करती हैं। यह चेक-अप पहले से मौजूद बीमारी की सीरियसनेस को एनालाइज करने और हाई रिस्क वाले मामलों को खारिज करने के लिए किया जाता है। चेक-अप के परिणामों के आधार पर, मेडिकल अंडरराइटिंग की जाती है और पॉलिसी जारी की जाती है। प्री-एंट्रेंस हेल्थ चेक-अप वास्तव में अच्छी होती है, क्योंकि, पहले से मौजूद बीमारी की गंभीरता को सुनिश्चित करने के जिम्मेदारी बीमाकर्ता की होती है।
ज्यादा प्रीमियम: आम तौर पर, पहले से मौजूद बीमारियों जैसे डायबिटीज और हाइपरटेंशन के लिए, बीमाकर्ता अतिरिक्त प्रीमियम लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले से मौजूद बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बढ़ जाती है।
परमानेंट एक्सक्लूजन (स्थाई बहिष्कार): IRDAI ने हाल ही में बीमा कंपनियों को कुछ बीमारियों को परमानेंट एक्सक्लूजन में शामिल करने की अनुमति दी है जो बीमाकर्ता पहले से कवर करने से इनकार कर रहे थे। लिस्ट में कैंसर, HIV, अल्जाइमर, स्ट्रोक, किडनी डिजीज, लिवर डिजीज, अग्न्याशय रोग (Pancreas ailment), मिर्गी (Epilepsy), हृदय रोग, आंत्र रोग (Bowel disease) और हेपेटाइटिस B शामिल हैं।
पॉलिसी को अस्वीकार करना: यदि बीमा कंपनी को जोखिम का आकलन करने में मुश्किल होती है तो वो प्रपोजल रिजेक्ट भी कर सकती है।
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले कई लोगों को क्लेम करने के बाद पता चलता है कि जिस बीमारी के लिए उन्होंने क्लेम किया वह बीमा कवर के दायरे में नहीं आती है या फिर उस बीमारी पर एक निश्चित वेटिंग पीरियड है। ऐसा मुख्यत: पॉलिसीधारकों में जागरूकता की कमी के कारण होता है। ऐसे में उन्हें अस्पताल में भर्ती होने का खर्च जेब से भरना पड़ता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी व्यक्ति को उस समय वित्तीय मदद उपलब्ध कराती है जब उसे पैसों की खास जरूरत होती है। लेकिन कई लोग पॉलिसी खरीदने से पहले या खरीदने के दौरान हुई गलतियों के कारण सही पॉलिसी खरीदने में विफल रहते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अपने स्वास्थ्य, परिवार की स्थिति और उम्र को ध्यान में रखकर खरीदनी चाहिए। ऐसी पॉलिसी चुनें जो आपकी आज की जरूरत को पूरा कर सके। बीमा कंपनियां कई तरह के स्वास्थ्य बीमा की पेशकश करती हैं। साथ ही कई विकल्प भी उपलब्ध कराती हैं जिसमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं। मसलन आपको देखना होगा कि क्या परिवार के हर सदस्य के लिए अलग पॉलिसी लेने की जरूरत है या फिर फैमिली फ्लोटर पॉलिसी खरीदना बेहतर रहेगा। यदि बीमा कवर बढ़ाने की जरूरत है तो सुपर टॉपअप पॉलिसी खरीदना एक अच्छा विकल्प होगा।
ज्यादातर लोग बीमा कवर कितना मिल रहा है इस पर ध्यान दिए बगैर सस्ती हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसी खरीद लेते हैं। उपयुक्त बीमा कवर वाली पॉलिसी न खरीदना क्लेम के वक्त महंगा पड़ सकता है। पर्याप्त क्लेम नहीं मिलने पर इलाज कराना महंगा पड़ सकता है। आपको पर्याप्त बीमा कवर वाली पॉलिसी खरीदनी चाहिए। कुछ-कुछ साल में बीमा राशि (सम एश्योर्ड) की समीक्षा कर लेनी चाहिए। यदि यह कम हो तो पर्याप्त बीमा कवर वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए।
जिस बीमा कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हों उसके प्रति ईमानदार रहें। अपनी मेडिकल हिस्ट्री और मौजूदा सेहत के बारे में जो भी आप जानते हैं, बीमा कंपनी को ईमानदारी के साथ इसकी जानकारी दें। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज यानी जो बीमारी आपको पहले से है बीमा कंपनी को इसकी जानकारी देना जरूरी है। इसके अलावा भी आपको कोई मेडिकल प्रॉब्लम हो चुकी है तो इसके बारे में कंपनी को बताएं।
तो दोस्तों मार्किट में उपलब्ध सारे इन्शुरन्स प्रोडक्ट की रिसर्च करे और तभी अपने लिए बेस्ट प्रोडक्ट चुने। अपनी बिमा कंपनी के प्रति ईमानदार रहे। कुछ भी न छिपाये।
उम्मीद करते है की आज की जानकारी आपके लिए लाभदायक होगी।