तलाक की नौबत आने पर खुद को कैसे करे आर्थिक रूप से तैयार ? | Pre-Divorce Financial Planning | How To Divorce and ready yourself for Alimony, Child Support, Custody, and Legal Costs

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जब दो लोग विवाह के बंधन में बंधते हैं तो शायद ही किसी के भी दिमाग में तलाक जैसी बात आती है। लेकिन, यह भी एक कड़वा सच है कि ऐसे बहुत से जोड़े हैं जो कुछ कारणों से इस बंधन में नहीं रह पाते हैं। दोस्तों तलाक बहुत कष्‍टदायक हो सकता है। तलाक़ के वक़्त दोनों ही बन्दे मानसिक यातनाये झेल रहे होते है पर, ऐसी नौबत आ ही जाए तो इसे इस कदर हावी न होने दें कि अपना सब कुछ लुटा बैठें।

सामान्यता देखा जाता है की तलाक में महिलाओं को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। अपनी आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओ को कुछ चीजों को ध्‍यान में रखना चाहिए। इसमें फाइनेंशियल प्‍लानर की सेवाएं लेने से लेकर सभी जरूरी दस्‍तावेजों को जुटाना शामिल है। आज के आर्टिकल में हम ऐसी ही कुछ फाइनेंसियल प्लानिंग के बारे में बात करेंगे जो आपको तलाक़ से पहले ध्‍यान रखना चाहिए।

तो चलिए दोस्तों स्टार्ट करते है :

कभी-कभार रिश्‍तों में खटास इस कदर बढ़ जाती है कि पति-पत्‍नी का साथ रह पाना मुमकिन नहीं रह जाता है। तब तलाक ही एक रास्‍ता बचता है। तलाक़ लेना आसान नहीं होता । ये एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको मानसिक और फाइनेंसियल तौर पर आपको तोड़ देता है । लेकिन इस हालात में आपको अपने आप को मज़बूत करना होगा और जो भी फैसले लेने होंगे वो मज़बूती के साथ बहुत सोच समझ कर लेने होंगे।

दोस्तों जब भी आपको इस बात का एहसास हो जाये की इस रिश्ते में रहना अब मुश्किल है । और आपको तलाक़ चाहिए तभी से आपको अपनी प्रे-डिवोर्स फाइनेंसियल प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। तलाक़ के कारन आपको जो मानसिक यातना झेलनी पड़ेगी उसे तो कोई कम नहीं कर सकता लेकिन कम से कम आप अपनी वित्तीय स्थिति को तो ठीक कर सकते है । जिससे तलाक़ के बाद आपको पैसो की किल्लत का सामना न करना पड़े। दोस्तों ज्यादातर मामलो में देखा गया है की तलाक़ के केस में औरतो को ज्यादा मानसिक और वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योकि तलाक़ के समय मानसिक तौर पर आप इतने आहत होते हो की आपको ये ध्यान ही नहीं होता की तलाक़ के बाद आपको कैसे अपनी वित्तीय स्थिति को संभालना है । दोस्तों तलाक़ के वक़्त जितना अहम् है की आप किसी वकील की मदद ले उतना ही अहम् ये भी है की तलाक़ से पहले आप किसी वित्तीय सलाहकार की भी मदद ज़रूर ले और अपने आप को वित्तीय सुरक्षित करे। आज हम आपको कुछ ऐसे फाइनेंशियल टिप्‍स दे रहे हैं जिन्‍हें आपको तलाक से पहले ध्‍यान रखना चाहिए।

  • समय पर दस्‍तावेज जुटाएं

दोस्तों जैसे ही आपको इस बात का एहसास हो कि आपकी शादी में दिक्‍कतें शुरू हो गई हैं, आप सभी फाइनेंशियल डॉक्‍यूमेंट को जुटाना शुरू कर दें। इनमें सैलरी स्‍टेटमेंट, किराये की रसीदें, प्रॉपर्टी के दस्‍तावेज, घर के आइटमों की रसीदें, मासिक खर्चों का प्रूफ इत्‍यादि शामिल हैं। अगर आपने इसे बाद के लिए छोड़ा तो पति या पत्नी इन्‍हें पाने में दिक्‍कत पैदा कर सकते है। तो तलाक़ की स्थिति में आपको ये सभी फाइनेंसियल डाक्यूमेंट्स अपने पास इकट्ठे रखने चाहिए ।

  • अपने एसेट को अलग करें

दोस्तों, आपके नाम जो एसेट हैं उनकी आपको पहचान शुरू कर देनी चाहिए। ज्‍वेलरी इत्‍यादि को भी किसी सुरक्षित जगह पर रख देना चाहिए। इसके लिए आप बैंक का लॉकर इस्तेमाल कर सकते है।  लेकिन ये लाकर आपके अपने नाम पर होना चाहिए न की जॉइंट नाम पर ।

  • वकील से पहले फाइनेंशियल प्‍लानर की सेवाएं लें

दोस्तों ठीकठाक गुजारा-भत्‍ता पाने के लिए डिवोर्स लॉयर से पहले आपको फाइनेंशियल प्‍लानर की सेवाएं लेनी चाहिए। यह बेहद अहम है कि महंगाई और भविष्‍य के खर्चों को ध्‍यान में रखकर सही आंकड़ों तक पहुंचा जाए। इसी से तलाक के बाद अपनी लाइफस्‍टाइल को मेनटेन किया जा सकता है।

दोस्तों मासिक के बजाय एकमुश्‍त गुजारा-भत्‍ता लेना ज्यादा बेहतर है। गुजारे-भत्‍ते के तौर पर मिलने वाली एकमुश्‍त रकम टैक्‍स के दायरे में नहीं आती है तो आपको टैक्स नहीं देना होता उस पर। इसके साथ साथ महंगाई के चलते इसके घटने की गुंजाइश भी नहीं बचती है। लेकिन अगर मासिक गुजारा-भत्‍ता लिया जाता है, तो इसमें सालाना बढ़ोतरी की शर्त जरूर होनी चाहिए।

दोस्तों तलाक़ से पहले लिक्विड एसेट जितना हो सकता है, उतना बनाना शुरू कर दें। तलाक के बाद इससे फाइनेंशियल लाइफ को चलाने में आपको आसानी होती है। अगर घर मिल गया है, लेकिन उसे चलाने का पैसा नहीं है तो संकट आएगा। और ऐसे में लिक्विड एसेट ही आपका सहारा बनता है।

दोस्तों इस बात को समझना चाहिए कि महिला को जो पैसा घर चलाने और अपनी लाइफस्‍टाइल मेनटेन करने के लिए मिलता है, वह बच्‍चे को पालने-पोसने से अलग होता है। इसमें बच्‍चे की शिक्षा और उसकी शादी जैसे लक्ष्‍यों को ध्‍यान में रखें। और उसी के हिसाब से तय करे की तलाक़ के समय कैसे और कितना गुज़ारा भत्ता लेना है।

दोस्तों अगर आपका घर आप दोनों के नाम पर जॉइंटली है और लोन में भी आप दोनों सीओ-एप्लिकेंट है तो ऐसी स्थिति में दोनों घर को बेच सकते हैं और लोन को अदा करने के बाद आपस में बराबर-बराबर रकम को बांट सकते हैं। या फिर एक पार्टनर लोन को अपने नाम ट्रांसफर करा सकता है। फिर उसी पर लोन को अदा करने की जिम्‍मेदारी आ आती है। इसमें स्‍टैंप ड्यूटी और रजिस्‍ट्रेशन की लागत का ध्‍यान रखना चाहिए।

दोस्तों ऐसी स्थिति में घर पर कानूनन पत्‍नी का हक होगा । लेकिन, अगर पति ने साबित कर दिया कि उसने लोन का भुगतान किया है तो वह इसमें हिस्‍से पर दावा कर सकता है। पत्‍नी अपने नाम लोन को ट्रांसफर करा सकती है और घर का मालिकाना हक पा सकती है। लेकिन, ऐसा तभी होगा जब पति सेटेलमेंट की राशि का भुगतान कर दे।

दोस्तों हम सभी जानते है की तलाक़ के समय आपकी मानसिक स्थिति कैसे होती है। उस समय आपको कुछ समझ न आना या वित्तीय सकंट के बारे में न सोचना बहुत ही आम बात है । लेकिन ऐसा करके आप केवल आपने लिए भविष्य में संकट बढ़ा रहे है। जो रिश्ता रहना ही नहीं है उस रिश्ते के चलते आपको इतना भी नहीं घबराना चाहिए की आप अपना सबकुछ ही खो दे । इसीलिए ऐसे हालत में आपको बहुत ही समजदारी से  कदम उठाने चाहीये और अपने आप को वित्तीय तौर पर ज़रूर सुरक्षित कर लेना चाहिए। जिससे तलाक़ की वजह से जितना हो सके उतना काम आपको नुक्सान उठाना पड़े।

दोस्तों उम्मीद करते है की हमारा आज का आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा। इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर कीजिये। और हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा ये हमे नीचे कमेंट करके ज़रूर बताइये। धन्यवाद् !

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