क्रेडिट कार्ड पर हर महीने चुका रहे हैं सिर्फ मिनिमम बैलेंस? चुकाना पड़ सकता है भारी ब्याज, समझें नियम
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आज के समय में Credit Card रखना जरूरत भी है और शौक भी। डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ने से बड़ी संख्या में लोग क्रेडिट कार्ड की सुविधा का लाभ उठाने लगे हैं। क्रेडिट कार्ड सुविधाजनक होने के चलते आज का बड़ा फाइनेंशिनेंयल टूल बन गया है। हालांकि, बात जब बिल पेमेंट की आती है तो लोग लापरवाही कर जाते हैं। जहां कुछ लोग आउटस्टैंडिंग अमाउंट का कुछ हिस्सा चुकाते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो मिनिमम अकाउंट ड्यू चुकाकर काम पूरा समझ लेते हैं। जब आपका क्रेडिट कार्ड का बिल आता है तो उसमे पैसे पे करने के दो ऑप्शन होते है – या तो आप पूरे बिल का पेमेंट करे या फिर मिनिमम due अमाउंट पे करके छोड़ दे। हम में से कुछ लोग मिनिमम due अमाउंट पे करते है और ऐसा तब ज्यादा करते है जब बिल ज्यादा हो पेमेंट करने के लिए पैसे न हो। आदमी सोचता है की चलो अगले महीने दे देंगे। लेकिन क्या आपको पता है की मिनिमम due अमाउंट पे करने से आप क़र्ज़ के जाल में फसते चले जाते है। क्या होता है मिनिमम due अमाउंट और क्या नुक्सान होते है सिर्फ मिनिमम due अमाउंट पेमेंट के ? क्या कोई फायदा भी है मिनिमम due अमाउंट को पे करने का। ये ही सारी बाते आज हम जानेगे। तो चलिए शुरू करते है।
आपके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में दो बिल ऑप्शन दिखाई देते हैं: टोटल आउटस्टैंडिंग अमाउंट और मिनिमम अमाउंट ड्यू। जबकि पहला वाला ऑप्शन एकदम सीधा सपाट है (यानी यह वही टोटल अमाउंट है जो आपको देना है यदि आप इसका इंटरेस्ट फ्री पीरियड के दौरान इसका फुल पेमेंट करना चाहते हैं), लेकिन दूसरे ऑप्शन को देखकर थोड़ी गलतफहमी हो सकती है। ‘मिनिममअमाउंटड्यू‘ का क्या मतलब है?
मिनिमम अमाउंट ड्यू आपके टोटल बिल अमाउंट का एक छोटा-सा हिस्सा है जो आपको अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जारी रखने के लिए बिल पेमेंट की अंतिम समय सीमा के भीतर देना जरूरी होता है। ऐसा करके, आप अपने ड्यू अमाउंट पर लेट पेमेंट फीस जैसी अतिरिक्त पेनाल्टी से भी बच जाते हैं। लेकिन सबसे जरूरी बात, यदि आप सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू का पेमेंट करेंगे तो आपको बाकी के बिल अमाउंट पर इंटरेस्ट (आम तौर पर 3 से 4% प्रति महीने की दर से) देना पड़ेगा।
मिनिमम अमाउंट ड्यू, आम तौर पर स्टेटमेंट डेट को कैलकुलेट किए गए आपके आउटस्टैंडिंग बैलेंस का 5% होता है। लेकिन यह अलग-अलग बैंक में अलग-अलग होता है और यह 3 से 5% के आसपास या उससे अधिक भी हो सकता है। अगर आपने कोई EMI ली है तो वो भी मिनिमम अमाउंट में जुड़ जाती है।
क्यासिर्फमिनिममअमाउंटड्यूकापेमेंटकरनेसेकोईनुकसानहै? हां। सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू का पेमेंट करने पर आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं क्योंकि इस अमाउंट का इस्तेमाल इंटरेस्ट के पेमेंट के लिए किया जाता है, न कि प्रिंसिपल अमाउंट के पेमेंट के लिए। इंटरेस्ट तब तक लिया जाता रहेगा जब तक आप पूरी तरह से अपना ड्यू क्लियर नहीं कर देते हैं। इसके अलावा यदि आप सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू का पेमेंट करते हैं और क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग अमाउंट का फुल पेमेंट नहीं करते हैं तो आपको इंटरेस्ट फ्री क्रेडिट पीरियड की सुविधा भी नहीं मिलेगी।
इसलिए, बेहतर यही है कि आप समझदारी के साथ अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें और हर महीने इंटरेस्ट फ्री पीरियड के भीतर अपने टोटल ड्यू का पेमेंट करने की कोशिश करें।
अगर आप बस अपना मिनिमम अमाउंट ड्यू चुकाते रहते हैं तो आपके ऊपर काफी कर्ज बढ़ जाता है जो कि क्रेडिट लिमिट से भी ऊपर जा सकता है। इसका मतलब एक तो आपको ज्यादा कर्ज चुकाना है, दूसरा आपका क्रेडिट कार्ड भी बेकार हो गया, साथ ही आपको नेगेटिव क्रेडिट स्कोर मिलते हैं वो अलग।
सबसे बड़ी समस्या आपको इंटरेस्ट में आएगी। मिनिमम बैलेंस चुकाकर आपको ये तो लग सकता है कि आपने पैसे बचा लिए लेकिन लंबे वक्त के लिए ये आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। जितना ज्यादा आउटस्टैंडिग बैलेंस इकट्ठा होगा उतना हाई इंटरेस्ट रेट लगेगा। हो सकता है कि आपको अपने अमाउंट का दोगुना या उससे भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ जाए।
तो इसीलिए बेहतर है की आप मिनिमम बैलेंस न चुकाकर पूरा अमाउंट पे करे। इससे आप क़र्ज़ के जाल में फसने से बच जायेंगे। हां अगर आपके पास कभी पैसे नहीं है तो आप मिनिमम बैलेंस तो ज़रूर पे करिये। जिससे आपको कोई पेनल्टी न चुकानी पड़े और आपका क्रेडिट स्कोर भी ख़राब न हो।