दोस्तों आज के समय में हायर एजुकेशन लगातार महंगी हो रही है। देश हो या विदेश एजुकेशन सेक्टर में पढ़ाई के नए ऑप्शन खुलने के साथ ही शिक्षा हासिल करने की लागत भी बढ़ रही है। ऐसे में पैरेंट्स अपनी सारी जमा-पूंजी खर्च बच्चों की पढ़ाई में लगा दे रहे हैं। लेकिन बच्चों की शिक्षा पर अपनी पूरी जमा-पूंजी झोंक देने से अच्छा है कि एजुकेशन लोन लिया जाए। एजुकेशन लोन लेके आप अपनी जमा पूंजी तो बचा ही सकते है और इसके साथ साथ इसके और भी बहुत से फायदे है। तो अगर आप भी इसी कन्फूज़न में है की अपने बच्चो की पढाई में अपनी सेविंग इस्तेमाल करे या एजुकेशन लोन ले तो आज की वीडियो सिर्फ आपके लिए है। आज हम बात करेंगे की अगर आप अपनी सेविंग की बजाय एजुकेशन लोन लेते है तो आपको क्या क्या बेनिफिट्स होते है। तो चलिए स्टार्ट करते है।
दोस्तों बच्चों की पढ़ाई के लिए माता-पिता पैसे की जुगाड़ में सोने में या फिक्स्ड एसेट में निवेश करते हैं। हालांकि, कई सारे फाइनेंशियल एडवाइजर का कहना है कि बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए माता-पिता एजुकेशन लोन ले सकते हैं। वो ज्यादा फायदेमंद है। हायर एजुकेशन के लिए बैंक या एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) से एजुकेशन लोन मिलता है। एजुकेशन लोन का पहला फायदा है :
सस्ते एजुकेशन लोन का फायदा
दोस्तों हमारे देश में एजुकेशन लोन ( Education Loan) की दरें सस्ती हैं। इसलिए हायर एजुकेशन के लिए इसका फायदा उठाया जाना चाहिए। सस्ते एजुकेशन लोन का फायदा यह है कि पैरेंट्स इसे चुकाने के बजाय अपना पैसा उन इंस्ट्रूमेंट्स में लगाएंगे,जहां ज्यादा रिटर्न मिल रहा है ताकि वे अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे कर सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि हायर एजुकेशन के लिए सेल्फ फाइनेंसिंग और बैंक फाइनेंसिंग में संतुलन होना चाहिए। एजुकेशन लोन लेने के बाद आप बिना किसी व्यवधान के अपनी कमाई में से बचत को जारी रख सकते हैं, जिससे आगे आपकी किसी भी वित्त जरूरतों की पूर्ति हो सकती है। आप चाहें तो बच्चों की शादी, घर खरीदने में अपनी बचत का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे यह होगा कि आप रिटायरमेंट के बाद अपने बच्चों पर निर्भर नहीं रहेंगे।
एजुकेशन लोन से न केवल आप अपनी कोर्स का फीस भर पाएंगे बल्कि, यह आपके अन्य खर्चे जैसे- हॉस्टल खर्च, परीक्षा फीस, लाइब्रेरी चार्ज, लैब फीस में भी काम आएगा। लोन का इस्तेमाल आप किताब का खर्च, यात्रा व्यय आदि में भी कर सकते हैं।
दोहरा टैक्स लाभ
सेंट्रल सेक्टर सब्सिडी के तहत लोन आवेदक को सेक्शन 80 E के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। लोन के लिए आवेदक या सह आवेदक को यह छूट आठ साल तक मिलती है।
भारत में फुल टाइम एजुकेशन पर खर्च होने वाली ट्यूशन फीस पर आप इनकम टैक्स पर 1.50 लाख रुपए का क्लेम कर सकते हैं। इसमें शर्त यह है कि आपके दो से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए। दो से ज्यादा बच्चों की ट्यूशन फीस पर आप क्लेम नहीं कर सकते हैं। ट्यूशन फीस के अलावा टैक्सपेयर्स धारा 80ई के तहत हायर एजुकेशन के लिए लिए गए एजुकेशन लोन पर भुगतान किए गए ब्याज पर भी टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। आप इस बेनिफिट का क्लेम खुद के लिए, जीवनसाथी और अपने बच्चों के लिए कर सकते हैं। आप इसका क्लेम उस बच्चे के लिए भी कर सकते हैं जिसके आप लीगल गार्जियन हैं।
जिस साल से आप लोन चुकाना शुरू करते हैं, उस साल से लगातार आठ साल तक इस डिडक्शन का क्लेम किया जा सकता है। इस डिडक्शन का क्लेम केवल भुगतान के आधार पर किया जा सकता है। इसलिए यदि आप किसी विशेष वर्ष में अपने एजुकेशन लोन पर बकाया ब्याज का भुगतान करते हैं, तो आप उस वर्ष के दौरान भुगतान किए गए पूर्ण ब्याज का दावा कर सकेंगे। एजुकेशन लोन पर ब्याज के लिए डिडक्शन क्लेम करने के लिए कोई मोनेटरी लिमिट नहीं है।
उदाहरण के लिए अगर आपने अपनी बेटी के लिए पहले ही एजुकेशन लोन ले लिया है और आप उस पर सालाना ब्याज पर टैक्स छूट का फायदा उठा रहे हैं। अब अगर आप अपने बेटे की पढ़ाई के लिए भी एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो इस पर भी आप टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं।
यदि आपने दोनों के लिए 10% ब्याज पर 10-10 लाख का ऋण लिया है, तो 20 लाख रुपये का कुल वार्षिक ब्याज 2 लाख रुपये हो जाता है। इस पूरे 2 लाख ब्याज पर आपको टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। यानी आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से यह रकम माइनस होगी।
विदेश में बच्चों को पढ़ाने पर TCS ( Tax Collection at source) काटा जाता है। अगर पढ़ाई के लिए एक वित्त वर्ष में सात लाख रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन होता है तो एजुकेशन लोन के बगैर अगर आप सेल्फ फाइनेंसिंग करते है तो आपका टीसीएस 5 फीसदी रहेगा। लेकिन स्टूडेंट अगर विदेश में पढ़ाई के लिए लोन ले रहा है तो TCS 0.5 फीसदी होगा। हालांकि लोन एक वित्त वर्ष में 7 लाख रुपये से ज्यादा होना चाहिए।
मोरेटोरियम का फायदा
एजुकेशन लोने वाले स्टूडेंट्स को मोरेटोरियम पीरियड का लाभ मिलता है। मोरेटोरियम पीरियड लोन टाइम के समय उधारकर्ता को दी गई अवकाश अवधि की तरह है। यानी उसे मोरेटोरियम पीरियड ( Moratorium Period) में लोन नहीं चुकाना पड़ता है। पढ़ाई के दौरान बैंक साधारण ब्याज लेता है। यह रकम बाद में ईएमआई में एडस्टज की जाती है। इससे बाद में लोन चुकाने के वक्त ईएमआई कम हो जाती है। यह प्रोसेस लोन लेने वाले का बोझ कम कर देती है क्योंकि उसे पढ़ाई के दौरान लोन नहीं चुकाना पड़ता है। जबकि पर्सनल लोन में मोरेटोरियम पीरियड नहीं होता है। आप जब से लोन लेते हैं तभी से इसे चुकाना होता है।
एजुकेशन लोने वाले स्टूडेंट्स को मोरेटोरियम पीरियड का लाभ मिलता है। मोरेटोरियम पीरियड लोन टाइम के समय उधारकर्ता को दी गई अवकाश अवधि की तरह है। यानी उसे मोरेटोरियम पीरियड ( Moratorium Period) में लोन नहीं चुकाना पड़ता है। पढ़ाई के दौरान बैंक साधारण ब्याज लेता है। यह रकम बाद में ईएमआई में एडस्टज की जाती है। इससे बाद में लोन चुकाने के वक्त ईएमआई कम हो जाती है। यह प्रोसेस लोन लेने वाले का बोझ कम कर देती है क्योंकि उसे पढ़ाई के दौरान लोन नहीं चुकाना पड़ता है। जबकि पर्सनल लोन में मोरेटोरियम पीरियड नहीं होता है। आप जब से लोन लेते हैं तभी से इसे चुकाना होता है।
तो दोस्तों ये हमने आज डिसकस किये वो बेनिफिट्स जो आपको एजुकेशन लोन लेने पर मिलते है। तो उम्मीद करते है की अब आप तय कर पाएंगे की आपको अपने बच्चे की हायर एजुकेशन को सेल्फ फाइनेंसिंग करनी है या एजुकेशन लोन लेना है।