दोस्तों, आज के टाइम में हम सभी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे है। कोरोना एक ऐसी महामारी है जिसने सिर्फ हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है । बेरोजगारी की समस्या हम सबके सामने बहुत विकराल रूप लेकर उभरी है। कोरोना ने हम सभी की जिंदगी को प्रभावित किया है और हम सभी के रोजगार के अवसर हैं उनको प्रभावित किया है । हमारी आय प्रभावित हुई है। जब हमारी आय प्रभावित हुई है तो जाहिर सी बात है कि हमारे खर्चे भी प्रभावित हुए हैं। और खर्चे करने बहुत मुश्किल हो गए।
दोस्तों, कुछ खर्चे ऐसे हैं जिन्हें आप टाल सकते हैं लेकिन कुछ खर्चे ऐसे हैं जिन्हें आप टाल नहीं सकते और ऐसे ही कुछ खर्चों में शामिल होता है लोन की ईएमआई। लोन की ईएमआई एक ऐसा खर्चा है जो हर महीने आप के सर पर रहता है। आपको देना ही देना है। लेकिन हमारी सरकार ने इस बात को समझते हुए की कोरोना की वजह से सभी के पास कॅश की बड़ी किल्लत है भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहले भी 3 महीने की मोहलत दी थी और इस 3 महीने की मोहलत को अब आगे और 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। तो कुल मिलाकर ईएमआई देने के लिए 6 महीने की मोहलत दी गई है। इन 6 महीने में आपको ईएमआई देने की कोई जरूरत नहीं है आपकी ईएमआई 6 महीने के बाद स्टार्ट होगी। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपको अपने लोन पर इन 6 महीने कोई ब्याज नहीं देना। इन 6 महीने भी आपके लोन पर ब्याज लगेगा लेकिन वह ब्याज आपको तब देना है जान आप अपनी ईएमआई शुरू करेंगे। तब वह ब्याज आपकी ईएमआई में जुड़ कर आएगा ।
दोस्तों,आज हम बात करेंगे कि क्या हमें ईएमआई पर जो ब्याज के लिए यह 6 महीने की मोहलत मिली है इसका लाभ लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए ? अगर लेना चाहिए तो यह हमारी जेब पर कोई एक्स्ट्रा खर्च तो नहीं डाल रहा है ? और अगर डाल रहा है तो कितना खर्चा है ?
तो चलिए जानते हैं-
दोस्तों भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन के भुगतान पर मोहलत को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया है । भारतीय रिजर्व बैंक ने इस मोहलत को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक कर दिया है। इसके पहले आरबीआई ने एक मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के बीच सभी टर्म लोन के ईएमआई के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत दी थी। इस तरह लोन के ईएमआई की कुल मोरेटोरियम यानि कर्ज स्थगन की अवधि छह महीने हो गई है।
लेकिन, यहाँ एक बात को समझ लेना जरूरी है कि यह सिर्फ एक स्थगन है। यानी कर्ज को सिर्फ टाला गया है। इसे माफ नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि किस्त की रकम को बाद में वसूला जाएगा। यही नहीं, इन छह महीनों की किस्तों पर जुटे ब्याज को भीआपको देना है। इसलिए आपके लिए बेहतर है कि अगर आपका इनकम का स्रोत बना हुआ है तो आप अपनी किस्तों को समय से देते रहें। जिससे कोई एक्स्ट्रा बोझ आपकी जेब पर न पड़े।
आइए दोस्तों सबसे पहले जानते हैं कि ईएमआई मोरटोरियम क्या होता है ?
दोस्तों, मोरेटोरियम को ईएमआई हॉलीडे भी कहा जाता है। यह वह टाइम होता है जिसमें आपको ईएमआई का पेमेंट करने की जरूरत नहीं होती। नॉर्मली इस तरह का ब्रेक आपको तब दिया जाता है जब लोग अस्थायी तौर से आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे होते हैं। इस तरह की ब्रेक की वजह से उन्हें अपनी फाइनैंशल प्लानिंग करने में आसानी होती है और उन्हें काफी राहत मिलती है।
दोस्तों, आरबीआई ने 6 महीने की मोहलत दी है। यह मोहलत उन लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है जो लॉकडाउन के कारण कॅश की किल्लत का सामना कर रहे हैं। अगर आपने भी होम लोन लिया है या फिर कोई और लोन लिया है और पहले मिली 3 महीने की मोहलत के साथ-साथ आप आने वाले 3 महीने की टाइम में भी इस विकल्प को चुनने जा रहे हैं तो आपकी ईएमआई शेड्यूल पर इसका असर पड़ेगा। लोन में जो आप ब्याज चुकाएंगे वह भी चेंज हो जाएगा। अगर आपने मोरेटोरियम यानी की मोहलत के ऑप्शन को सिलेक्ट किया है तो आपको 6 महीने की ईएमआई यानी मार्च,अप्रैल, मई, जून , जुलाई और अगस्त की ईएमआई नहीं देनी हालांकि जैसा हम पहले भी बता चुके हैं इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि इन 6 महीने की ईएमआई माफ़ हो गई है। 6 महीने की किस्त पर जो आपका ब्याज इकट्ठा हुआ है वह तो आपको देना ही है। अगर आपने ईएमआई के पेमेंट में मोरेटोरियम का ऑप्शन चुना है तो आपका बैंक आपको ये तीन ऑप्शन दे सकता है :
- पहले ऑप्शन के तौर पर आपका बैंक आपको यह कह सकता है कि आप मोरटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद जो भी आपका ब्याज इकट्ठा हुआ है उसका एक मुश्त भुगतान यानि पेमेंट कर दीजिए।
- या फिर दूसरे ऑप्शन के तौर पर आपके बचे हुए लोन में ब्याज को जोड़ा जाए और लोन की बाकी पीरियड में ईएमआई की रकम को बढ़ा दिया जाए।
- या फिर बकाया लोन में जितना भी ब्याज इकट्ठा हुआ है उसको जोड़ दिया जाए और आपकी ईएमआई की किस्त को वही रखते हुए आपके लोन का पीरियड बढ़ा दिया जाए।
आइए एक उदाहरण के जरिए समझते हैं कि अगर कोई ग्राहक लोन लेता है तो उस पर ईएमआई मोरटोरियम का क्या असर होगा। उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि एक ग्राहक ने 8 % की ब्याज दर पर 20 साल के लिए ₹ 30 लाख का होम लोन लिया है। और वह कस्टमर ईएमआई के तौर पर ₹25093 का पेमेंट करता है। अगर वह कस्टमर 6 महीने की मोहलत का ऑप्शन सेलेक्ट करता है तो देखते हैं कि अलग-अलग स्थिति में उसके रीपेमेंट शेड्यूल पर कैसे असर पड़ता है।
Tenure Left in Yrs | Outstanding Loan at the beginning of moratorium period | Interest for 6 months moratorium | Outstanding Loan at the end of moratorium period | Option 1: Pay Interest in one go after 6 months | Option 2: Pay Higher EMI for rest of the Tenure | Option 3: Extend the Loan Tenure in Months |
5 | 12,37,557 | 49,500 | 12,87,057 | 49,500 | 26,097 | 2 |
10 | 20,68,219 | 82,728 | 21,50,947 | 82,728 | 26,097 | 3 |
15 | 26,25,768 | 1,05,030 | 27,30,798 | 1,05,030 | 26,097 | 4 |
अगर पांच साल का होम लोन बचा है :
अगर ग्राहक का पांच साल का होम लोन बचा है तो छह महीने की मोहलत लेने से ब्याज के तौर पर 49,500 रुपये इक्कट्ठा हो जाएग। ग्राहक को अगर पहला विकल्प यानी मोरेटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद इक्कट्ठा हुए ब्याज का एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प मिलता है तो उसे मियाद खत्म होने पर 49,500 रुपये देने होंगे।
अगर वह ग्राहक लोन की बाकी अवधि में ईएमआई की रकम बढ़ाने का विकल्प चुनता है तो उसे 25,093 रुपये के बजाय 26, 097 रुपये देने होंगे। इस तरह ईएमआई में 1,004 रुपये की बढ़ोत्तरी होगी।
वहीं, अगर ग्राहक तीसरा विकल्प चुनता है यानी किस्त की वही रकम रखते हुए लोन की अदायगी करता है तो कर्ज की समय अवधि दो महीने बढ़ जाएगी।
अगर 10 साल का होम लोन बचा है :
अगर ग्राहक का 10 साल का होम लोन बचा है तो छह महीने की मोहलत लेने से ब्याज के तौर पर 82,278 रुपये इक्कट्ठा हो जाएगा। मोरेटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद इस ग्राहक को इतनी रकम का एकमुश्त भुगतान करना होगा।
अगर वह ग्राहक मोरेटोरियम के बाद लोन की बाकी अवधि में ईएमआई की रकम बढ़ाने का विकल्प चुनता है तो उसे 25,093 रुपये के बजाय 26,097 रुपये देने होंगे। इस तरह ईएमआई में 1,004 रुपये की बढ़ोतरी होगी।
वहीं, ग्राहक अगर तीसरा विकल्प चुनता है यानी किस्त की वही रकम रखते हुए लोन की अदायगी करता है तो कर्ज की समय अवधि तीन महीने बढ़ जाएगी।
अगर 15 साल का होम लोन बचा है :
अगर ग्राहक का 15 साल का होम लोन बचा है तो छह महीने की मोहलत लेने से ब्याज के तौर पर 1.05 लाख रुपये इक्कट्ठे हो जायेंगे। मोरेटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद इस ग्राहक को इतनी रकम का एकमुश्त भुगतान करना होगा।
अगर वह ग्राहक मोरेटोरियम के बाद लोन की बाकी अवधि में ईएमआई की रकम बढ़ाने का विकल्प चुनता है तो उसे 25,093 रुपये के बजाय 26,097 रुपये देने होंगे। इस तरह ईएमआई में 1,004 रुपये का इजाफा होगा।
वही अगर ग्राहक किस्त की वही रकम रखते हुए लोन की अदायगी की जाती है तो कर्ज की अवधि चार महीने बढ़ जाएगी।
तो देखा दोस्तों , अगर आप ईएमआई मोरटोरियम का ऑप्शन चुनते हैं तो यह आपकी जेब पर कितना भारी पड़ सकता है। तो अगर आपकी आमदनी रेगुलर हो रही है तो आप इस ऑप्शन को सेलेक्ट ना करे और अपनी ईएमआई को जारी रखें । हां अगर आपके पास कैश की कमी है तब आप इस ईएमआई मोरटोरियम के ऑप्शन का लाभ ले सकते हैं। तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का आर्टिकल अच्छा लगा होगा हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा यह हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताइए।
धन्यवाद !
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Keep posting new articles. Very helpful.
Thank You
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Thank You