दोस्तों, महामारी कोरोना की वजह से बहुत से परिवारों को आर्थिक संकट देखना पड़ा। इस महामारी ने कई लोगों को अपनी चपेट में लिया। कई परिवार ऐसे हैं, जहां अब सिर्फ बुजुर्ग माता-पिता ही रह गए हैं। लेकिन, अपने किसी नौकरीपेशा बेटा या बेटी को खोने पर EPFO ऐसे बुजुर्गों के साथ खड़ा है। EPFO के नियम के मुताबिक, ऐसे माता-पिता को आजीवन पेंशन मिलेगी। हालाँकि पेंशन स्कीम के कुछ नियम और शर्तें हैं। आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते है।
EPFO की पेंशन स्कीम (EPS) की शुरुआत 1995 में हुई थी। EPFO के मुताबिक, अगर नौकरी पर रहते किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, जो परिवार में अकेला कमाने वाला है और उनके माता-पिता आश्रित है तो ऐसे मामलों में उन्हें EPS-95 नियम के तहत आजीवन पेंशन मिलती है। साथ ही अगर कर्मचारी नौकरी को दौरान किसी बिमारी के चलते शारीरिक रूप से अक्षम हो जाता है तो इम्प्लाई को भी आजीवन पेंशन मिलती रहेगी।
योग्य कर्मचारी को अपने बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता को जोड़ कर 12% योगदान इसमें करना होता है। वहीं, नियोक्ता को भी इतना ही योगदान करना होता है। रिटायरमेंट के वक्त निवेशक को ब्याज सहित पूरा पैसा वापस मिलता है। कर्मचारी के द्वारा किया 12% ईपीएफ खाते में जाता है। वहीं, नियोक्ता के 12% में से 3.67% ईपीएफ खाते में और बाकि 8.33% ईपीएस (Employee Pension Scheme) खाते में जाता है। 12% से अधिक EPF में योगदान करने पर यह VPF में तब्दील हो जाता है। ऐसी स्थिति में नियोक्ता के योगदान से मैच करना जरूरी नहीं होता है फिर।
कुछ विशेष परिस्थितियों में 12% से कम के योगदान की भी मान्यता है। जैसे की अगर कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 20 से कम है तो ऐसी स्थिति में कर्मचारी और नियोक्ता 10%-10% प्रतिशत तक का योगदान कर सकते हैं। यह इसलिए है ताकि EPF में लोग अधिक से अधिक इनवेस्टमेंट करें।
बता दें कि आपके और आपकी कंपनी की ओर से पीएफ अकाउंट में जमा किए गए पैसे को दो हिस्सा में बांटा जाता है । आपके अकाउंट का एक हिस्सा ईपीएफ और एक हिस्सा पेंशन फंड के रूप में जमा होता है । इसमें ईपीएफ का पैसे एक मुश्त हासिल किया जा सकता है, लेकिन पेंशन फंड पेंशन के रूप में ही वापस मिलता है ।
इंप्लॉई कब होता है पेंशन का हकदार?
EPS का लाभ लेने के लिए इंप्लॉई का मिनिमम 10 साल लगातार नौकरी करना जरूरी है। ईपीएफ मेंबर रिटायरमेंट के अलावा पूरी तरह से डिसेबल हो जाने पर भी इस पेंशन को लेने का हकदार होता है।
फैमिली पेंशन के लिए सर्विस की नहीं है लिमिट
EPF ने फैमिली पेंशन के लिए न्यूनतम 10 साल की सर्विस अनिवार्यता नहीं रखी है । यानी 10 साल पूरा होने से पहले भी अगर इंप्लॉई की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशन का लाभ मिलेगा। लेकिन इंप्लॉई को पेंशन तभी मिलती है, जब उसने कम से कम 10 साल की नौकरी की हो।
किसे मिलेगी फैमिली पेंशन?
– मेंबर इंप्लॉई के मरने के बाद उसकी पत्नी या पति को पेंशन मिलती है।
– अगर इंप्लॉई के बच्चे हैं तो उसके 2 बच्चों को भी 25 साल की उम्र तक पेंशन मिलती है. इसमें सगे, गोद लिए बच्चे शामिल हैं।
– अगर इंप्लॉई शादीशुदा नहीं है तो उसके द्वारा PF व पेंशन के लिए बनाए गए नॉमिनी को जिंदगीभर पेंशन मिलती है।
अगर किसी की हैं दो पत्नी
अगर किसी इंप्लॉई की दो पत्नियां हैं तो मृत्यु के बाद पेंशन की हकदार उसकी पहली पत्नी होगी। पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी दूसरी पत्नी को यह पेंशन मिलेगी।
अगर इंप्लॉई की पत्नी या पति कर ले दूसरी
अगर मृत इंप्लॉई की पत्नी या पति की भी मौत हो जाए या फिर वह दूसरी शादी कर ले तो उसके बच्चों को पेंशन का लाभ मिलता रहता है। मृत इंप्लॉई के किसी भी तरह की परमानेंट डिसएबिलिटी से ग्रस्त बच्चे को पेंशन का लाभ पूरी जिंदगी दिया जाता है।
अगर नहीं बनाया कोई नॉमिनी
अगर मेंबर इंप्लॉई शादीशुदा नहीं है और न ही उसने किसी को PF और पेंशन में नॉमिनी बनाया है तो ऐसे में पेंशन के हकदार मृत इंप्लॉई पर निर्भर उसके मां या पिता होंगे। अगर पिता की मौत हो जाती है तो उसके बाद पेंशन मृत इंप्लॉई की मां को उनकी मृत्यु तक मिलती है।
दोस्तों, पीएफ अकाउंट नौकरीपेशा लोगों के लिए निवेश और सेविंग दोनों है। पीएफ अकाउंट आपके रिटायरमेंट के वक्त काफी काम आता है और आपको जीवनभर पेंशन मिलती है। लेकिन, पीएफ अकाउंट में नॉमिनी का होना भी काफी जरूरी है, अगर दुर्भाग्यवश पीएफ अकाउंट धारक की मृत्यु हो जाती है तो वो उन पैसे का कानूनी हकदार होता है। इतना ही नहीं, नॉमिनी को धारक की मृत्यु के बाद पेंशन भी दी जाती है।
इन दिनों ईपीएफओ भी पेंशन अकाउंट होल्डर्स को बार-बार अलर्ट कर रहा है कि वो अपने अकाउंट में नॉमिनी जोड़ लें। नॉमिनी जोड़ने के बाद आपका जमा किया हुआ पैसा आपके चाहने वाले को मिल जाता है। ऐसा ना करने पर आपको परिवार को वो पैसे निकालने में काफी मुश्किल होती है। तो दोस्तों इस तरह से EPF अकाउंट होल्डर की असमय मृत्यु की स्तिथि में उनके डिपेंडेंट माता पिता को आजीवन पेंशन मिलेगी।
तो दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल अच्छा लगा होगा।