दोस्तों, देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर पुरे चरम पर है। कोरोना के मरीजों की संख्या इतनी तेजी बढ़ रही है कि अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी पैदा हो गई है। वह ऑक्सीजन जो सांस लेने के लिए जरूरी है, उसके सिलेंडर की कमी हाहाकार पैदा कर रही है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी पैदा हो गई है। यहां तक की अस्पतालों समेत सभी जगह ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो रही है। ऐसे में आप ऑक्सीजन सिलेंडर का बिजनेस करके देश की सेवा करने के साथ साथ बढ़िया कमाई भी कर सकते हैं। आज हम इसी बारे में बात करेंगे और जानेगे की मेडिकल ऑक्सीजन क्या होती है, कैसे बनाई जाती है, इसकी लागत क्या है और कैसे आप अपना खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगा सकते है। तो चलिए शुरू करते है।
दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद रहती है। हमारे चारो ओर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21 फीसदी और 78 फीसदी नाइट्रोजन होती है। इसके अलावा 1 फीसदी अन्य गैसें जिसमें आर्गन, हीलियम, नियोन, क्रिप्टोन, जीनोन जैसी गैस शामिल होती है।
सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियां ऑक्सीजन प्लांट लगा सकती हैं। ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस के जरिए बनती है। यानी हवा में मौजूद विभिन्न गैसों को अलग-अलग किया जाता है, जिनमें से एक ऑक्सीजन भी है। क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस (भारी दबाव डालना) किया जाता है। उसके बाद कंप्रेस हो चुकी हवा को मॉलीक्यूलर छलनी एडजॉर्बर (adsorber) से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग किया जा सके।
इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्रेस हो चुकी हवा डिस्टिलेशन कॉलम में जाती है, जहां पहले इसे ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया एक plate fin heat exchanger & expansion turbine के जरिए होती है और उसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट (ऑक्सीजन का उबलने का स्तर) पर उसे गर्म किया जाता है, जिससे उसे डिस्टिल्ड किया जाता है। बता दें कि डिस्टिल्ड की प्रक्रिया में पानी को उबाला जाता है और उसकी भाप को कंडेंस कर के जमा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अलग-अलग स्टेज में कई बार किया जाता है, जिससे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अर्गन जैसी गैसें अलग-अलग हो जाती हैं। इसी प्रक्रिया के बाद लिक्विड ऑक्सीजन और गैस ऑक्सीजन मिलती है।
पूरे देश में तकरीबन 500 फैक्ट्रियां हैं, जो हवा से ऑक्सीजन बनाती हैं। मेडिकल ट्रीटमेंट में जिस तरह की ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है, वह लिक्विड ऑक्सीजन होती है। प्लांट्स में पूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बनकर तैयारी होने वाली लिक्विड ऑक्सीजन को तय तापमान पर बड़े-बड़े क्रायोजेनिक टैंकरों में भरकर डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए हॉस्पिटल्स में सप्लाई किया जाता है।
कुछ बड़े हॉस्पिटल्स में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन केबिन या टैंक होता है, जहां से जिस बेड पर ऑक्सीजन की जरूरत है वहां पाइपलाइन के जरिए इसकी सप्लाई होती है। छोटे हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन बड़े-बड़े सिलेंडरों में पहुंंचाई जाती है, फिर पाइपलाइन के जरिए मरीज के बेड तक पहुंचती है। बेहद छोटे हॉस्पिटल्स, जहां पाइपलाइन की सुविधा नहीं है, वहां ऑक्सीजन के छोटे सिलेंडर मरीज के बेड के पास लगाए जाते हैं।
आजकल घरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर रखे जा रहे हैं। लोग ऑक्सीजन सिलेंडर बेचने वाले या रीफिल करने वाले से इसे खरीद कर घर में रख लेते हैं। रीफिल करने वाले, टैंकर से लिक्विड ऑक्सीजन मंगवाते हैं। फिर अपने यहां स्टोर करके छोटे सिलेडरों में रीफिल करते हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर में वैपराइज्ड गैस होती है। लिक्विड को वैपर फॉर्म में सिलेंडर में भरा जाता है।
मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलिंडर प्लांट के अन्दर वातावरण से ऑक्सीजन लेकर उसको पूर्ण रूप से शुद्ध करके सिलिंडर में पैक की जाती है क्योकि एक मरीज को बिलकुल शुद्ध ऑक्सीजन की जरुरत पड़ती है और वातावरण की ऑक्सीजन में बहुत ज्यादा विषाक्त पदार्थ या अन्य रसायन तत्व मौजूद होते है इसलिए ऑक्सीजन को प्रदूषण से पूरी तरह से एक विशिष्ट मानक तक साफ करने के लिए ये प्लांट लगाये जाते है |
मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलिंडर कि मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करने के लिए आपको इसके मैन्युफैक्चरर से संपर्क करना होगा। मैन्युफैक्चरर आपको ऑक्सीजन मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सिलेंडर फिलिंग तक की सभी जानकारी दे देगें। इसके बाद आप अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको फ्लो मीजरमेंट, ऑक्सीजन मास्क, दबाव गेज और Cannula की जरूरत होगी। इसके अलावा बिजनेस स्टार्ट करने से पहले आपको यह भी तय करना होगा कि आप कैसे-कैसे इस बिजनेस का सेटअप करेंगे। इसके साथ ही इस बिजनेस के मार्केट के बारे में भी जानकारी होना जरूरी है।
प्रोडक्शन के लिए आवश्यक प्रोडक्ट्स
दोस्तों, ऑक्सीजन सिलेंडर का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको फ्लो मेजरमेंट (Flow measurement), ऑक्सीजन मास्क, दबाव गेज और Cannula की जरूरत होगी। इसके अलावा बिजनेस स्टार्ट करने से पहले आपको यह भी तय करना होगा कि आप कैसे-कैसे इस बिजनेस का सेटअप करेंगे। क्योकि ये मेडिकल से संबंधित बिजनेस है और लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है इसलिए स्टेट लेवल पर लाइसेंस की जरूरत होगी।
बिजनेस शुरू करने के लिए लाइसेंस जरूरी
मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का बिजनेस शुरू करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। एप्लिकेंट को यह देखना जरूरी है कि वह लाइसेंस हासिल करने करने के लिए सभी नियमों को पूरा कर रहा है या नहीं। कोई भी व्यक्ति बगैर लाइसेंस के लिए इस बिजनेस को शुरू नहीं कर सकता है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए स्टेट लेवल पर लाइसेंस की जरूरत होती है। तो आपको अपने स्टेट के अकॉर्डिंग चेक करना होगा। जैसे अभी उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने लाइसेंस फ्री कर रखा है ऑक्सीजन प्लांट सेटअप के लिए। इसके अलावा किस जगह पर बिजनेस शुरू करना चाहते हैं इसके लिए स्थानीय बोर्ड से अनुमति लेना जरूरी है। कानूनी रूप से शुरू करने के लिए अपने बिसनेस की एंटिटी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अगर आप छोटे लेवल पर शुरू क्र रहे है तो आप MSME में भी रजिस्ट्रेशन करा सकते है।
प्लांट लगाने में लगता है ज्यादा पैसा
मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का प्लांट (Oxygen Plant) चूंकि बड़ा होता है ऐसे में इसको शुरू करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत होती है। इस बिजनेस के लिए कम से कम 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की जरूरत होती है। इस बिज़नेस में इससे ज्यादा भी इन्वेस्ट करने की जरुरत पड़ सकती है। इसके लिए आप बैंक से लोन ले सकते हैं।
इस तरह से अस्पताल पहुंचती है ऑक्सीजन
मैनुफैक्चरर्स के द्वारा लिक्विड ऑक्सीजन को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए बड़े टैंकर में स्टोर किया जाता है और फिर वहां से काफी ठंडे क्रायोजेनिक टैंकरों के जरिए डिस्ट्रीब्यूटर तक भेजा जाता है। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर इसका प्रेशर कम करके गैस के रूप में विभिन्न प्रकार के सिलेंडर में भरते हैं। उसके बाद यह सिलेंडर अस्पतालों और छोटे सप्लाइयर्स तक पहुंचाए जाते हैं। कुछ बड़े अस्पताल में ऑक्सीजन बनाने वाले प्लांट आलरेडी हैं।
बंपर कमाई का भरपूर स्कोप
बात करें प्रॉफिट कि तो इन दिनों देशभर में फैले कोरोना वायरस के कारण देशभर में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कमी हो गई है, जिसके कारण इसकी मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। तो ऐसे में आप इस बिजनेस को शुरू करके बंपर कमाई कर सकते हैं। हालांकि ऑक्सीजन गैस सिलिंडर में दबाव बहुत अधिक होने की वजह से इस बिजनेस में रिस्क भी ज्यादा होता है। इस प्लांट में काम करने वाले सभी लोगों को स्पेशल प्रोटोकॉल को फॉलो करना होता है। कोरोना काल में इस बिजनेस के जरिए आप लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। अच्छी कमाई के साथ-साथ आपको इसमें रिस्क भी काफी होता है।
अगर आप मेडिकल ऑक्सीजन सिलिंडर प्लांट छोटे लेवल से शुरु करते है तो इसके लिए लोन की जरुरत नही है। लेकिन अगर आप यह बिज़नेस बड़े लेवल पर करते है तो इसके लिए आपको लोन की ज़रूरत पड़ेगी। भारत सरकार कि तरफ से लोगो को व्यापार करने के लिए “मुद्रा लोन” दिया जा रहा है जिसमे तहत आप अपने इस प्रोजेक्ट के लिए लोन ले सकते है।
आप अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट लेके अपने बैंक मैनेजर से मिल सकते है मुद्रा लोन के लिए।
तो दोस्तों इस तरह से आप अपना मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट सेट करके इस समय अपने देश एक लोगो की मदद तो कर ही सकते है और बढ़िया पैसा भी कमा सकते है।
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