Good Loan vs. Bad Loan | लोन लेना कब सही है और कब गलत? | कर्ज या लोन लेने से पहले याद रखें ये बातें

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क्या आपने कभी कर्ज लिया है? दरअसल कर्ज के बारे में लोगों की राय अलग अलग होती है।  कुछ लोगों को कर्ज लेने में कोई बुराई नहीं लगती।  इसके उलट कुछ लोग कर्ज लेने को खराब मानते हैं।  कर्ज को लेकर लोगों के मन में कई सवाल चल रहे होते हैं।  अगर आसानी से मिल रहा हो तो क्या कर्ज ले लेना चाहिए? क्या कर्ज से मुक्त रहना बेहतर विकल्प है?

कर्ज लेना कोई अच्छी बात नहीं है – यह नसीहत हम सबने न जाने कितनी बार सुनी होगी और मान भी ली होगा।  लेकिन क्या कर्ज लेना हमेशा बुरा ही होता है? आपके यह सवाल करने पर कर्ज न लेने की हिदायत देने वाले पलटकर पूछ सकते हैं –  तो क्या उधार लेना अच्छी बात है?

दरअसल, दोनों ही बातें न तो पूरी तरह सही हैं और न ही पूरी तरह गलत।  कर्ज लेना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी।  अब इससे आप और भी ज्यादा कनफ्यूज़ हो गए होंगे। आज हम इसी कन्फूज़न को दूर करने की कोशिश करेंगे और जानेगे की कौन सा क़र्ज़ लेना सही और कौन सा क़र्ज़ लेना आपके लिए मुसीबत बन सकता है। 

तो चलिए स्टार्ट करते है।

लोन के मकसद से होगा सही-गलत का फैसला

दरअसल कर्ज लेना अच्छा है या बुरा, इसका फैसला करने से पहले यह देखना जरूरी है कि कर्ज लेने की वजह क्या है? यानी उधार लिए पैसों का इस्तेमाल कैसे किया जाना है। अगर लोन के पैसों से आप कोई ऐसी चीज़ खरीदने जा रहे हैं, जिससे आपकी नेटवर्थ में इजाफा होने वाला यानी कोई संपत्ति खड़ी होने वाली है, तो कर्ज लेना अच्छा भी हो सकता है।  या फिर आप कर्ज की रकम से अगर कोई ऐसा निवेश करने जा रहे हैं, जिसमें रिटर्न की दर कर्ज पर चुकाए जाने वाले ब्याज की दर से ज्यादा हो, तो भी कर्ज लेना अच्छा फैसला साबित हो सकता है। 

लेकिन अगर आप कर्ज की रकम का इस्तेमाल सिर्फ उपभोग के लिए करने वाले हैं या फिर किसी ऐसी चीज को खरीदने जा रहे हैं, जो अभी तो कीमती है, लेकिन जिसका मूल्य समय के साथ-साथ घटने वाला है, तो उधार लेने के आपके फैसले पर सवालिया निशान लग जाता है।  कर्ज लेने के पहले इस फॉर्मूले पर विचार करेंगे तो सही या गलत का फैसला करना आसान होगा।  

इन वजहों से लोन लेने में हर्ज नहीं 

कर्ज किसी भी माध्यम से लें इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रकम आपकी कर्ज चुकाने की क्षमता के हिसाब से ही हो। अर्थात अपनी नियमित आय से पैसा बचा कर आप लोन की रकम एक निश्चित समय में चुका सकने में सक्षम हों तभी क़र्ज़ ले। कुछ क़र्ज़ आपकी मुसीबत की वजह बन सकते है तो वही कुछ क़र्ज़ लेने में कोई हर्ज़ नहीं है। आइये जानते है की वो कोनसे क़र्ज़ है जिन्हे लेने में कोई कोई बुराई नहीं है : 

एजुकेशन लोन

खुद अपनी या अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए लोन लेने में हर्ज नहीं है, क्योंकि शिक्षा न सिर्फ आपकी या आपके बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाने में योगदान करती है, बल्कि इससे व्यक्ति की कमाने की क्षमता भी बढ़ती है।  बेहतर शिक्षा प्राप्त व्यक्ति के अच्छा रोजगार हासिल करने की संभावना भी ज्यादा होती है।  किसी टेक्निकल या प्रोफेशनल डिग्री को हासिल करने के लिए लिया गया लोन, उस डिग्री के आधार पर बेहतर रोजगार या आय अर्जित करके कुछ ही बरसों में चुकाया जा सकता है।  हालांकि सभी डिग्री की रोजगार के लिहाज से अहमियत बराबर नहीं होती, इसलिए आय की संभावना और लोन के आकार की तुलना करके ही इस बारे में सही फैसला करना चाहिए।

बिजनेस लोन

नया बिजनेस शुरू करने या पहले से चल रहे बिजनेस का विस्तार करने के लिए लोन लेने में कोई बुराई नहीं है।   दुनिया के बड़े से बड़े बिजनेस किसी न न किसी रूप में लोन लेकर आगे बढ़े हैं।  लेकिन बिजनेस में सफलता की उम्मीद के साथ ही नाकामी का जोखिम भी छिपा होता है।  इसलिए लोन लेने से पहले एक अच्छा बिजनेस प्लान बनाना जरूरी है, ताकि जोखिम को कम से कम रखकर सफलता की संभावना को बढ़ाया जा सके। 

घर खरीदने के लिए लोन

घर खरीदने के लिए कर्ज लेने में भी कोई हर्ज नहीं है, बशर्ते लोन की रकम इतनी हो, जिसकी ईएमआई आप आसानी से चुका सकें।  इसका एक आम फॉर्मूला यह है कि होम लोन की ईएमआई आपकी नियमित आमदनी के 40 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।  अगर आप अपने रहने के लिए लोन लेकर घर खरीदते हैं, तो इसके कई लाभ हैं।  सबसे पहले तो आपको किराया नहीं देना पड़ता।  दूसरे, अगर आप नौकरी करते हैं तो होम लोन पर टैक्स छूट भी मिलती है।  तीसरी और अहम बात यह कि कुछ बरस बाद अगर आपको किसी वजह से घर बेचना भी पड़ता है, तो आमतौर पर उसकी बढ़ी हुई मार्केट वैल्यू का फायदा भी मिलता है।  आपके पास एक से ज्यादा घर हैं, तो आप एक घर को किराए पर देकर उसे नियमित आय का जरिया भी बना सकते हैं। 

इन कामों के लिए कर्ज लें तो बेहतर

आइये अब देखते हैं कुछ ऐसे कर्जों के उदाहरण, जिनसे बचने में ही भलाई है।  अगर इनमें से कोई कर्ज लेना बेहज जरूरी हो, तो भी कम से कम रकम और अवधि के लिए लेना चाहिए।

कार लोन

हालांकि होम लोन के बाद मध्य वर्गीय लोग शायद सबसे ज्यादा कार लोन ही लेते हैं, लेकिन यह एक ऐसा कर्ज है, जिससे बचना चाहिए।  हालांकि कार अब एक जरूरत की चीज बन गई है।  खास तौर पर बड़े शहरों में रहने वाले नौकरीपेशा लोगों के लिए कई बार कार के बिना रहना मुश्किल हो जाता है।  लेकिन वित्तीय फायदे-नुकसान के लिहाज से कार के लिए लोन लेना आम तौर पर घाटे का सौदा होता है।  ऐसा इसलिए क्योंकि जिस कार को आप लोन लेकर खरीदते हैं, उसकी कीमत पहले दिन से ही घटने लगती है और जब तक आप कार का लोन चुकाकर असल में उसके मालिक बनते हैं, उसकी कीमत काफी घट चुकी होती है।  अगर आप कार को काफी लंबे समय तक अपने पास रखते हैं, तो भी आखिरकार, एक दिन उसकी लाइफ पूरी हो जाती है और आपको एक नई कार खरीदने के लिए फिर नए सिरे से पैसे खर्च करने पड़ते हैं।  इसीलिए जरूरी होने की वजह से कार खरीदनी भी हो तो कोशिश कीजिए कि आपको उसके लिए लोन न लेना पड़े।  ऐसा करने पर भी आप एक ऐसी चीज पर बड़ी रकम लगा रहे होंगे, जिसकी कीमत दिनों-दिन घटने वाली है, लेकिन कम से कम आपको उस पर ब्याज तो नहीं देना पड़ेगा। 

महंगे कपड़ों, घड़ियों या मोबाइल के लिए लोन

कपड़े इंसान की जरूरत हैं।  लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति से बाहर जाकर महंगे कपड़ों के शौक को पूरा करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके महंगा लोन लेना फाइनेंशियल समझदारी के लिहाज से सही नहीं है।  यही बात महंगी घड़ियों या मोबाइल के शौक पर भी लागू होती है।  इन तमाम चीजों में लगाए गए पैसे आपको कोई रिटर्न नहीं देते, सिर्फ खर्च होते हैं।  इसलिए इन्हें खरीदने के लिए लोन लेकर उस पर इंटरेस्ट भरने में कोई अक्लमंदी नहीं है। 

कुछ कर्ज अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी !

कुछ कर्ज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें आप आसानी से सही या गलत के बीच बांट नहीं सकते।  ये कर्ज लेने चाहिए या नहीं, यह आपकी आर्थिक स्थिति और विशेष जरूरतों पर निर्भर होता है।  इनमें कुछ लोन ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्हें लेना किसी एक व्यक्ति के लिए सही हो सकता है तो दूसरे के लिए गलत। 

पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज

अगर आप कम इंटरेस्ट वाला लोन लेकर पुराने ज्यादा ब्याज दर वाले लोन को चुका सकते हैं, तो यह एक अच्छा कदम हो सकता है। लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले दोनों तरह के कर्जों पर लागू ब्याज दरों के अलावा उससे जुड़ी अन्य शर्तों और लोन ट्रांसफर पर होने वाले खर्च पर भी अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए।  मसलन, अगर आप किसी बैंक के नए कर्जों पर ऑफर किए जा रहे टीज़र रेट से प्रभावित होकर लोन ट्रांसफर करने की सोच रहे हैं, तो यह भी ध्यान में रखें कि आपको नए लोन के लिए प्रोसेसिंग फीस और पुराने लोन पर फोर-क्लोज़र चार्ज देे पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं, कई बार बैंकों के टीज़र रेट सिर्फ एक साल के लिए होते हैं, उसके बाद रेट बढ़ा दिए जाते हैं, जिससे कहीं ऐसा न हो कि आप फिर से पहले वाली स्ठिति में ही आ जाएं और लोन ट्रांसफर पर हुआ खर्च बेकार चला जाए।  तो इस बारे में कोई भी फैसला सारी बातों पर गौर करने के बाद ही करें।    

शेयर बाजार में निवेश के लिए कर्ज

अगर आप शेयर बाजार के माहिर खिलाड़ी हैं और उसमें निवेश करके पैसे बनाने की कला जानते हैं, तो आप लोन लेकर भी पैसे लगा और कमा सकते हैं।  किसी ब्रोकरेज फर्म या बैंक के मार्जिन एकाउंट भी आपको शेयर खरीदने के लिए एक तरह का शॉर्ट टर्म लोन ही देते हैं।  हालांकि शेयर बाजार में निवेश हमेशा जोखिम भरा होता है, इसलिए नौसिखिए और गैर-अनुभवी निवेशकों को ऐसे किसी लोन से दूर ही रहना चाहिए।

पर्सनल लोन

ऊंची ब्याज दरों वाले पर्सनल लोन से भी जितना बचा जा सके उतना बेहतर।  लेकिन अगर कोई क्रेडिट कार्ड के बेहद ऊंची ब्याज कर वाले लोन को चुकाने के लिए या बेहद कम समय की कोई इमरजेंसी जरूरत पूरी करने के लिए शॉर्ट टर्म फाइनेंस के तौर पर पर्सनल लोन का इस्तेमाल करता है, तो ऐसा कर्ज लेना सही भी हो सकता है।  कई बार पुरानी कार खरीदने वालों के लिए पर्सनल लोन लेना ऊंची दर वाले यूज्ड कार लोन लेने के मुकाबले बेहतर फैसला साबित होता है।

दोस्तों कर्ज लेने से पहले आप इन जरूरी नौ बातों को ध्यान में ज़रूर रखिये। ऐसा करने पर न तो आप कभी कर्ज के जाल में फंसेंगे और न ही आपको अपना बजट गड़बड़ाता महसूस होगा।

  1. कर्ज किसी भी माध्यम से लें इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रकम आपकी कर्ज चुकाने की क्षमता के हिसाब से ही हो। अर्थात अपनी नियमित आय से पैसा बचा कर आप लोन की रकम एक निश्चित समय में चुका सकने में सक्षम हों।
  2. कर्ज चुकाने की समयावधि जितनी लंबी होती है उतनी ही ज्यादा राशि आपको लोन के भुगतान में चुकानी होती है। ऐसा माना जाता है कि लोन का कार्यकाल जितना छोटा हो उतना अच्छा है। कर्ज चुकाने की समयावधि बढ़ाने पर EMI की राशि तो कम हो जाती है लेकिन कर्जदाता की ओर से चुकायी जाने वाली कुल रकम बढ़ जाती है।
  3. EMI निश्चित समय पर ही दें। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कर्ज चाहे छोटे समय के लिए हो जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बिल या लंबी अवधि का जैसे होम लोन, भुगतान समय पर करें।  अगर आप एक भी किश्त देने से चूक जाते हैं या फिर पेमेंट में देरी करते हैं तो इसका असर सीधा क्रेडिट प्रोफाइल पर पड़ता है। जिसके कारण भविष्य में लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
  4. निवेश करने के लिए पैसे उधार न लें। निश्चित रिटर्न देने वाले निवेश विकल्प जैसे फिक्सड डिपॉजिट, बॉण्ड कभी भी लोन पर लिए जाने वाले ब्याज की बराबरी नहीं कर सकते। इक्विटी में निवेश बेहद अस्थिर होते हैं। ऐसे में निवेश करने के लिए कभी भी निवेश न करें। साथ ही अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कभी भी लोन न लें।
  5. अगर आप होम लोन या कार लोन जैसा कोई बड़ा लोन लेते हैं तो साथ में इंश्योरेंस लेना न भूलें। जैसे कि लोन की राशि के बराबर का टर्म प्लान लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपको कुछ हो जाता है और आप पर आश्रित लोग EMI नहीं चुका पाते तो कर्जदाता आपके एसेट्स ले लेता है। टर्म प्लान लेने से आपकी अनुपस्थिति में घर वालों को आर्थिक तंगी से नहीं जूझना पड़ेगा।
  6. अगर आप कर्ज लेकर कोई संपत्ति खरीद रहे हैं तो बाजार में कीमतों की तुलना जरूर कर लें। सही डील मिलने पर आपको हो सकता है कि कम राशि का ही लोन लेना पड़े। लोन की राशि जितनी कम होगी कर्जदाता के लिए यह उतना ही अच्छा होगा।
  7. किसी भी आकस्मिक स्थिती से बचने के लिए लोन लेते समय नियम व शर्तें जरूर पढ़ें। अगर आप कानूनी दस्तावेज का संदर्भ नहीं समझ पा रहे हैं तो किसी वित्तीय सलाहकार की मदद लें।
  8. अगर आपने एक से ज्यादा लोन ले रखे हैं और ये सब अलग अलग बैंक या वित्तीय कंपनियों से हैं तो कोशिश कीजिए कि इन सभी को एक ही बैंक या वित्तीय कंपनी में ट्रांस्फर करवा लें। लोन की रकम एक जगह हो जाने पर बैंक आपको बैलेंस ट्रांस्फर जैसी सुविधाओं के अंतर्गत आकर्षक ब्याज दरें ऑफर कर सकता है। ऐसा करने से आप पर EMI का बोझ कम हो जाएगा। साथ ही समय-समय पर मिलने वाली अतिरिक्त आय का भी इस्तेमाल कर्ज चुकाने के लिए करें। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो कंपनी में बोनस मिलने पर, इंक्रीमेंट या इंसेंटिव हाथ आने पर आपको अपने कर्ज का भुगतान कर देना चाहिए।
  9. जरूरी चीजों के लिए लोन जरूर लें भविष्य के लिए की गई योजनाओं को प्रभावित न करें। सरल शब्दों में समझें तो कभी भी अपने बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए रिटारमेंट फंड का इस्तेमाल न करें। पढ़ाई के लिए लोन और स्कॉलरशिप जैसे विकल्प मौजूद हैं जिसमें पढ़ाई का खर्चा कवर होता है। लेकिन बाजार में ऐसा कोई आकर्षक प्रोडक्ट नहीं जिसके जरिए आप अपनी रिटारमेंट की जरूरतों को पूरा कर सकें। ध्यान रखें कि रिटारमेंट योजना भी बच्चे की पढ़ाई जितनी ही जरूरी होती है। एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग की खासियत यही है कि एक जरूरत को पूरा करने के लिए दूसरी जरूरी चीज के प्लान को प्रभावित न करें।

तो दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे की हर क़र्ज़ बुरा नहीं होता और हर क़र्ज़ अच्छा नहीं होता।  अपनी फाइनेंसियल कैपेसिटी को ध्यान में रखकर ही तय कीजिये की आपको क़र्ज़ लेना है या नहीं और कितना लेना है। 

तो उम्मीद करते है की आज की हमारी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

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