7 Tasks to complete for settling money matters after the demise of a loved one | मृतक के परिवार वाले ज़रूर कर ले ये 7 वित्तीय काम

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दोस्तों किसी अपने को खो देने से बड़ा दुःख कोई नहीं होता।  किसी अपने के जाने के बाद परिवार के सदस्यों की मानसिक स्तिथि बहुत नाजुक होती है। इस गम के चलते आप काफी लम्बे समय तक काफी मायूस रह सकते हैं। किसी अपने के गुजर जाने के तुरंत बाद आर्थिक कर्तव्यों का पालन करने में बड़ी तकलीफ हो सकती है। हालांकि ऐसे मौके पर पैसों की बात करना अजीब लग सकता है, लेकिन मृतक के  फाइनेंस की ठीक-ठीक व्यवस्था करना एक ज़रूरी काम होता है। इसे समय पर पूरा कर लेना चाहिए। आप ये नहीं चाहेंगे कि मृतक द्वारा इतने सालों में जमा की गई जमा पूंजी बर्बाद हो जाय।

यदि आप इस उलझन में हैं कि कहां से शुरू करें, उनके किसी निवेश को कैसे ट्रांसफर या बंद करें या महत्वपूर्ण फाइनैंशल डॉक्युमेंट्स को कैसे संभालें ? क्या आपके पास मृतक की सारी फाइनेंसियल डिटेल्स है ? क्या मृतक ने वसीयत बनाई है ? मृतक की इन्वेस्टमेंट को ट्रांसफर омг करने के लिए कोनसे डॉक्यूमेंट आपको चाहिए ?  क्या आपको मृतक की इनकम टैक्स रिटर्न भरनी होगी ? इन सभी में बात करेंगे और कोशिश करेंगे की हमारी आज की जानकारी से आपको कुछ तो परेशानी दूर हो। 

मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करें

मृत्यु प्रमाणपत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है जिसकी  ज़रूरत किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पड़ती है। बीमा संबंधी दावे, सम्पत्ति का उत्तराधिकार (Inheritance), निवेश बंद करना और अन्य कानूनी औपचारिकताएं जैसे कम्पेंसेशन इसी प्रमाणपत्र पर निर्भर करते हैं। परिवार में किसी की मृत्यु की स्थिति में, इस बात की जानकारी जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अनुसार निर्धारित नगर निगम को दिए जाने की ज़रूरत पड़ती है। यदि मृत्यु अस्पताल में होती है, तो आपको रजिस्टर्ट प्रमाणपत्र पाने के लिए अस्पताल के मृत्यु प्रमाणपत्र को नगर निगम के यहां ले जाना होता है। इस प्रमाणपत्र में मृत्यु की तारीख के साथ-साथ अन्य ब्यौरे जैसे मृतक और उसके पिता का नाम आदि भी दिया जाता है। मृत्यु के 21 दिन के अंदर अंदर आपको डेथ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना होता है।  हो सक तो डेथ सर्टिफिकेट की मल्टीप्ल copies  बनवा लीजिये। 

क्या मृतक द्वारा वसीयत बनाई गई थी

वसीयत एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज़ है। इसमें व्यक्ति अपनी सम्पत्ति से जुड़ी प्लानिंग का वर्णन करता है। इसमें यह बताया जाता है कि मृतक व्यक्ति की सम्पत्तियों का वितरण उसके नज़दीकी पारिवारिक सदस्यों में किस तरह से किया जाएगा। सम्पत्ति के भविष्य में बंटबारे और वारिस(सों) को मृतक की सम्पत्तियों को दिए जाने के लिए कानूनी वसीयत एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। लेकिन, वसीयत लिखने वाले के लिए यह भी महत्वपूर्ण होता है कि वह यह तय करे कि यह वसीयत उसके कानूनी वारिसों को मिलती भी है। कुछ लोग वसीयत को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखना चाहते हैं, जबकि कुछ अन्य लोग इसे अपने विश्वसनीय वकीलों के पास रखना पसंद करते हैं। अनेक अन्य लोग इस अति-महत्वपूर्ण दस्तावेज़ की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी को परिवार के विश्वसनीय सदस्यों और रिश्तेदारों के पास रखना चाहते हैं, जिनका इसमें कोई दावा नहीं होता है।

अगर वसीयत है तो ठीक है फिर तो उसी के हिसाब से सब हो जायेगा लेकिन अगर वसीयत नहीं है तो आपको देखना होगा की किस एसेट में कोण नॉमिनी है और आपको सक्सेशन सर्टिफिकेट बनवाना होगा जो आप डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से बनवा सकते है। सक्सेशन सर्टिफिकेट की जरुरत आपको मूवेबल प्रॉपर्टी के सम्बन्ध में होगी और इम-मूवेबल  प्रॉपर्टी आपको देश के कानून के हिसाब से कानूनी उत्तरधिकारिओ में बाँट दी जाएगी।

सभी फाइनैंशल दस्तावेज और रिकॉर्ड इकठ्ठा करें

ऐसा भी हो सकता है कि मृतक ने अपने सभी फाइनैंशल मामलों के बारे में आपको सभी आवश्यक जानकारी न दी हो। इसीलिए मृतक की डायरियों , लैपटॉप , मोबाइल और अन्य सभी कागजातों की जांच करके कर्ज, निवेश, जैसी वित्तीय जानकारियों का पता लगाने की कोशिश करें। आप पिछले 5 सालो की बैंक स्टेटमेंट से कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपाजिट, बैंक फिक्स्ड डिपाजिट, डिविडेंड इनकम , स्टॉक होल्डिंग,म्यूच्यूअल फंड्स , एन्युटी प्लान्स  और इन्शुरन्स से जुडी जानकारी जमा कर सकते है।

आप डॉक्यूमेंट तो चार भागो में बाट सकते है: Asset, liabilities, expenses and income

इनमे आपके बैंक से जुड़े हुए पेपर्स जैसे (savings accounts/deposits, ATM cards, credit cards) इन्शुरन्स  (life, health, motor vehicle), इंवेस्टमेंट्स  (insurance, stocks and mutual funds, savings schemes like Senior Citizen Savings Scheme or NSCs, and fixed deposits), यूटिलिटी  बिल्स  और  अकाउंट  नंबर्स  (electricity, water, gas, phone, Internet), टैक्सेशन , प्रॉपर्टी  पेपर्स , लोन  और  EMI डाक्यूमेंट्स, क्लब्स और बाकि मेम्बरशिप्स ये सब शामिल होंगे। और है एम्प्लॉयमेंट डाक्यूमेंट्स भी संभल कर रखिए।  इससे आपको एम्प्लायर से इन्शुरन्स और बाकि के बेनिफिट्स मिलने में आसानी होगी।

निवेश, देनदारों और देनदारियों की अलगअलग सूची बनाएं

मृतक की फाइनैंशल सिचुएशन को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में करने के लिए आपके पास उनके निवेश, देनदारों और देनदारियों के बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए जो अब आपके अकाउंट या कंधे पर आने वाली है। इससे आपकी वर्तमान फाइनैंशल सिचुएशन पर असर पड़ सकता है। इससे आपको कर्ज या ऋण के सच्चे या झूठे दावों से निपटने में भी मदद मिलेगी। आप पिछले 5 साल का बैंक स्टेटमेंट देखकर भी इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अलग-अलग स्रोतों से जानकारी हासिल करने के लिए आप किसी फाइनैंशल एक्सपर्ट जैसे सीए की मदद भी ले सकते हैं।

अकाउंट की जानकारी हासिल करें, और उन्हें बंद या ट्रांसफर करें

मृत व्यक्ति के सभी महत्वपूर्ण अकाउंट्स को तुरंत बंद करना बेहद जरूरी होता है, वरना हैकरों और धोखेबाजों द्वारा उनका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ महत्वपूर्ण फाइनैंशल अकाउंट्स जिन्हें बंद करना जरूरी है :

  1. Bank Account
  2. Loan Account
  3. Life Insurance
  4. Health Insurance
  5. Vehicle Transfer
  6. Utility Bodies
  7. Investments

मृतक के बैंक खातों को बंद करना और इन्वेस्टमेंट को ट्रांसफर करना महत्वपूर्ण कार्य हैं। इन्हें प्रायोरिटी दी जानी चाहिए। आपको मृतक के सभी बैंक खातों और इन्वेस्टमेंट की सूची तैयार करनी होगी। आपको बैंक खातों को बंद करने और इन्वेस्टमेंट से जुड़े कदमों के लिए सभी डॉक्यूमेन्स को इकट्ठा करना होगा। यदि मृतक का ज्वाइंट बैंक खाता था, तो खाते को दूसरे खाताधारक के नाम ट्रांसफर किया जा सकता है। ज्वाइंट खाताधारक से आपको इन्वेस्टमेंट, संबंधित स्टेंडिंग निर्देशों आदि के बारे में भी सहायता मिल सकती है। यदि मृतक का अकेले अपने ही नाम से बैंक खाता था, तो कानूनी वारिस या नामिनी, मृत्यु प्रमाणपत्र जमा करवा कर, बैंकों से डिटेल्स ले सकते हैं। बैंक बैलेंस को बैंक द्वारा मृतक के बैंक खाते को बंद करने के बाद, कानूनी वारिस को ट्रांसफर किया जा सकता है। सभी सब्स्क्रिप्शन, जमा आदि और ऑटोमेटिक पेमेंट्स को बंद कर दिया जाना चाहिए। आपको मृतक की क्रेडिट रिपोर्ट की भी जांच करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आपको किसी अनपेड डेट जैसे क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम, होम लोन, कार लोन आदि की जानकारी मिल सके। आप क्रेडिट रिपोर्ट को केवल तभी एक्सेस कर सकते हैं यदि आप परिवार के नज़दीकी सदस्य हैं। जब एक उधारकर्ता की मृत्यु हो जाती है, तो शेष बकाया चुकाने की जिम्मेदारी सह-आवेदकों, गारंटरों या कानूनी वारिसों पर आती है। आपको इससे अपने फाईनेंस की बेहतर प्लानिंग करने में मदद मिलेगी। अगर कोई फॅमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स है तो उसमे से मृतक का नाम रिमूव करना होता है। यूटिलिटी एकाउंट्स को भी ट्रांसफर करना होता है जैसे की इलेक्ट्रिसिटी बिल आदि।

बीमा दावा

यदि मृतक व्यक्ति द्वारा जीवन बीमा पॉलिसी ली गई है, तो बेनेफिशियरी उसकी मृत्यु के बाद उसके लिए दावा कर सकता है। बेनेफिशियरी या परिवार के किसी नज़दीकी सदस्य द्वारा दावा करने के लिए जीवन बीमा कंपनी को सूचित किया जा सकता है। बीमा का दावा करने के लिए, दावे के समय आपको कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ देने होंगे जैसे मृत्यु प्रमाणपत्र और पॉलिसी दस्तावेज आदि। यदि मृत्यु दुर्घटना की वजह से हुई है, तो आपको पॉलिसी दस्तावेजों के साथ पोस्ट मार्टम का ब्यौरा भी प्रदान करना होगा। जब आप ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करवा देते हैं, तो बीमा कम्पनी द्वारा कुछ ज़रूरी जांच-पड़ताल की जाती है ताकि यह तय किया जा सके कि दावे का भुगतान सही बेनेफिशियरी को किया जा रहा है। बीमा क्लेम जितना जल्दी हो सकते उतना जल्दी कर देना चाहिए।  क्योकि बीमा कंपनी क्लेम सेटल रकने में 45 दिन से 6 महीनो तक का समय ले लेती है।

महत्वपूर्ण संस्थानों को सूचित करें

सभी महत्वपूर्ण संस्थानों जैसे एम्प्लायर, वित्तीय संस्थानों को मृत्यु के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। उधारदाता जिनसे मृतक व्यक्ति द्वारा लोन लिया गया था, उन्हें भी मृत्यु के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। किसी भी व्यक्तिगत क्रेडिटर जैसे मित्र आदि या रिश्तेदार को भी सूचित किया जाना चाहिए। भविष्य में होने वाले किसी विवाद से बचने के लिए लोन के क्लोज़र या उससे जुड़े किसी भी ज़रूरी काम के दस्तावेज़ बनाना भी महत्वपूर्ण होता है। पहचान संबंधी धोखे से बचने के लिए, उचित समय पर मृतक के ईमेल अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट, और टेलीफोन नम्बर आदि को भी मृत्यु प्रमाणपत्र की एक कॉपी देकर बंद करवा लेना चाहिए। मृतक के पहचान के सभी प्रूफ जैसे पैन कार्ड, ड्राईवर लाईसेंस, मतदाता पहचानपत्र को भी रद्द करवाना भी उचित रहता है। मृतक की अंतिम इंकम टैक्स रिटर्न को कानूनी वारिस द्वारा फाइल किया जाना होता है। अंतिम रिटर्न फाइल करने के बाद पैन कार्ड भी बंद कर दें।

दोस्तों किसी अपने  के गुजर जाने का गम बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल होता है। इस गम के चलते आप काफी लम्बे समय तक काफी मायूस रह सकते हैं। लेकिन ये सारे काम अगर आप समय से कर लेंगे तो आपकी आगे की लाइफ थोड़ी आसान हो जाएगी। जो चला गया वो तो वापिस नहीं आ सकता और उसकी कमी भी कभी पूरी नहीं हो सकती लेकिन जिंदगी तो चलती ही है इसीलिए जाने वाले के ये सारे फाइनेंसियल काम आप अगर समय से पूरे कर लेंगे तो मृतक के जिंदगी भर की मेहनत से कमाए हुए पैसे बेकार नहीं होंगे। और मृतक एक डिपेंडेंट की लाइफ भी थोड़ी आसान होगी।  दोस्तों उम्मीद करते हु की आज की जानकारी से आपके थोड़ा तो काम आयी होगी।  धन्यवाद्।