छोटी बचत स्कीमों पर ब्याज दर में कटौती का फैसला भले वापस हो गया है , लेकिन, इन स्कीमों के इन्वेस्टर्स के लिए प्रोब्लेम्स खत्म नहीं हुई हैं। सरकार ने छोटी बचत स्कीमों पर टैक्स डिडक्शन ऑन सोर्स यानि (टीडीएस) के नए नियम पेश किए हैं। हम सब जानते है की पी पी ऍफ़ पर कोई टैक्स नहीं होता। PPF स्कीम ट्रिपल इ केटेगरी में आती है यानि की एक्सेम्पट एक्सेम्पट और एक्सेम्पट। इस में आप जो पैसा जमा करोगे वो भी एक्सेम्पट और जो इंटरेस्ट मिलेगा वो भी एक्सेम्पट और maturity वाले अमाउंट पर भी टैक्स नहीं देना होता। लेकिन टीडीएस के नए नियमो के तहत अगर इन्वेस्टर ने पिछले तीन साल का आईटीआर फाइल नहीं किया है और पीपीएफ सहित डाकघर की स्कीमों से 20 लाख रुपये से ज्यादा की निकासी करता है तो टीडीएस काटा जाएगा। और ये टीडीएस अमाउंट 20 लाख रुपये से ज्यादा की रकम का 2 फीसदी होगा।
आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है :
दोस्तों डिपार्टमेंट ऑफ़ पोस्ट ने नए रूल्स जारी किये है। और इन नए रूल्स के अकॉर्डिंग पोस्ट ऑफिस की सभी स्कीम अब इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194n के purview में आएंगे और उसी के अकॉर्डिंग इन सब स्कीम्स पर टैक्स डिडक्ट किया जायेगा। आइये अब जानते है की सेक्शन 194n क्या कहता है :
सेक्शन 194N के तहत दो केटेगरी आती है एक वो जो टैक्स payer है और दूसरे वो जिन्होंने पिछले तीन साल से अपनी इनकम टैक्स return फाइल नहीं की।
अगर कैश विड्रॉल करने वाला शख्स बीते 3 साल में एक बार भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है तो उनके लिए यह लिमिट 20 लाख रुपये तक की होगी। टैक्स फाइल नहीं करने वालों को प्रति वित्तीय वर्ष 20 लाख रुपये से ज्यादा की रकम निकालने पर 2 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 3 साल तक टैक्स फाइल नहीं करता है और एक वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की विड्रॉ करता है तो उन्हें 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। लिमिट क्रॉस होने पर टैक्स 1 करोड़ रुपये मिलाकर पूरे अमाउंट पर नहीं कटता। अगर कोई अकाउंट से 1 करोड़ रुपये की सालाना लिमिट के ऊपर कैश में ट्रांजेक्शन करता है तो TDS केवल 1 करोड़ रुपये से ऊपर वाले अमाउंट पर लगेगा, न कि 1 करोड़ रुपये मिलाकर पूरे अमाउंट पर।
वही अगर आप एक टैक्सपेयर है तो ये डिडकशन एक वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विड्रॉल पर लागू होता है। 1 करोड़ रुपये से जितनी ज्यादा रकम निकाली जाएगी, उस रकम पर 2 फीसदी टीडीएस देय होता है।
इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पीपीएफ और अन्य पोस्ट ऑफिस स्कीमों जैसे टैक्स फ्री विकल्पों का रिटर्न फाइल नहीं करने वाले दुरुपयोग न करें। माना जाता है कि एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल/अमीर लोग) अपने परिवार के सदस्यों के नाम खुले पीपीएफ अकाउंट में काफी ज्यादा पैसा लगाते हैं। इन सदस्यों की अपनी कोई इनकम नहीं होती है। ये अपना रिटर्न फाइल नहीं करते हैं। जबकि पोस्ट ऑफिस स्कीमों में इनका भारी-भरकम निवेश होता है।
टीडीएस के नए नियम काफी समय से चली आ रही गलत परंपराओं को रोकने के लिए हैं। इससे ज्यादा लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आगे आएंगे। यह रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स को अपने आईटीआर में इस तरह के निवेश का ब्योरा जाहिर करने के लिए मजबूर करेगा। पीपीएफ का ब्याज वैसे तो टैक्स फ्री होता है। लेकिन, इसके बारे में टैक्स रिटर्न में ‘एग्जेम्प्ट’ केटेगरी में बताना पड़ता है। ज्यादातर लोग अपने टैक्स रिटर्न में इंटरेस्ट इनकम के बारे में नहीं बताते हैं।
तो अगर आप भी ये टीडीएस नहीं चाहते तो आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न ज़रूर भरे और ज्यादा अमाउंट में सालाना कॅश विथड्रावल ना करे। क्योकि सेक्शन 194N का मकसद कैश ट्रांजेक्शन को हतोत्साहित करना है। लेकिन जानकारी के आभाव में ये सेक्शन आपको 2 % की चपत लगा सकता है। इसीलिए इसके बारे में ध्यान ज़रूर रखे।
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